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नवादा में प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी, कहा यहां नहीं मिला रोजगार तो गए परदेश

नवादा में प्रवासी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी, कहा यहां नहीं मिला रोजगार तो गए परदेश

NAWADA : जिले के पकरीबरांवा से आंखों में रोजगार का सपने लिए प्रखंड के हजारों लोग महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल गए। वहां रोजगार भी मिल गया। गृहस्थी की गाड़ी पटरी पर चलने लगी। इस बीच अप्रैल में कोरोना ने अपना कहर दिखाना फिर शुरू कर दिया, लोग डरने लगे। पॉजिटिव की संख्या बढ़ने के बाद शहरों में कर्फ्यू लग गया। ऐसे में सभी को लॉकडाउन की चिंता सताने लगीं। अब इन सभी के पास वापस घर लौटने  के सिवाय कोई विकल्प नहीं दिख रहा था। लाचारी में परदेश से लौटेने को मजबूर हो गए। रोजगार छूटने का मलाल सभी के चेहरे पर साफ दिख रहा था।  पश्चिम बंगाल से पहुंची ट्रेन से उतरने वाले ज्यादातर पैसेंजर वैसे थे, जो बाहर में रहकर रोजगार करते थे। बस से प्रखंड के चढ़िहरी, रेवार, पीड़पडवा, खपुरा, छत्तरवार गांव के सैकड़ों लोग उतरे। 

रेवार निवासी श्रीचन्द, उमा देवी कोलकाता के किसी फैक्ट्री में काम करते थे। दोनों दंपती आठ वर्ष से रह रहे थे। पिछले वर्ष मार्च में  लॉकडाउन हुआ तो फैक्ट्री बंद हो गई।  इन्होंने बताया कि कोरोना के डर से काम पर जाना बंद कर दिए थे। फैक्ट्री मालिक ने कहा लॉकडाउन लगने की उम्मीद है। घर लौट जाओ। दोनों का कहना है की अपने राज्य में काम का अभाव है। परिवार का पेट भरना मुश्किल है। 

कोलकाता से आई बस से सभी लोग गांव के मोड़ पर उतर गए। इस दौरान बस से उतरे किसी भी लोग का करोना का जाँच नहीं हो सका। सभी लोग नेगेटिव हैं या पोजेटिव हैं ये तो जाँच के बाद ही पता चलता। ऐसी स्थिति रही तो प्रखंड में करोना का केश बढ़ने की उम्मीद है। अभी तक प्रखंड क्षेत्र के बस स्टैंड एवं सार्वजनिक स्थलों पर जाँच की व्यवस्था नहीं किया गया है।

नवादा से अमन सिन्हा की रिपोर्ट

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