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विश्व शांति स्तूप के 50 वें वर्षगांठ पर राजगीर पहुंचे राष्ट्रपति, कहा बुद्ध से गांधी तक 'लाइट ऑफ एशिया' ने दुनिया को दिखाया सही रास्ता

विश्व शांति स्तूप के 50 वें वर्षगांठ पर राजगीर पहुंचे राष्ट्रपति, कहा बुद्ध से गांधी तक 'लाइट ऑफ एशिया' ने दुनिया को दिखाया सही रास्ता

NALANDA : राजगीर के रत्नागिरी पर्वत पर अवस्थित विश्व शांति स्तूप के 50 में वर्षगांठ के मौके पर शामिल होने आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस धरोहर को भारत जापान मैत्री का एक बेहतर संदेश बताया. उन्होंने कहा कि आज पूरे दुनिया को शांति की जरूरत है. इसका प्रयास जापान के फूजी गुरुजी ने आज से  पांचदशक पूर्व की थी. उन्होंने कहा कि स्वर्गीय डॉ. एस. राधाकृष्णन ने 1965 में इस स्तूप की आधारशिला रखी थी. 1969 के गांधी शताब्दी वर्ष में इसका उद्घाटन मेरे एक अन्य पूर्ववर्ती स्वर्गीय वीवी गिरि ने किया था. राष्ट्रपति ने कहा की महात्मा गांधी ने महा-करुणिक बुद्ध के सार्वभौमिक प्रेम और करुणा के आदर्शों का पालन किया. गांधीवादी लोकाचार बुद्ध के दी हुई शिक्षा का प्रतिबिंब लगता है. उन्होंने कहा की मुझे खुशी है कि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के इस महीने में हम इस विश्व शांति स्तूप के 50 वें वर्ष को यादगार बनाने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं. इस प्रकार स्तूप का स्वर्ण जयंती मनाने के दौरान हम आधुनिक दुनिया में शांति के सबसे बड़े मिशनरी को श्रद्धांजलि भी दे रहे हैं. 

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यह सर्वविदित है कि फूजी गुरुजी ने दुनिया भर में शांति स्तूपों के निर्माण के लिए पहल की थी. यह प्रभावशाली स्तूप मुख्य रूप से फूजी गुरुजी के अथक प्रयासों और प्रसिद्ध बौद्ध वास्तुकार और कलाकार उपेंद्र महारथी के बेहतरीन काम का परिणाम है. फूजी गुरुजी गांधीजी से मिले और वर्धा आश्रम में भी रहे. गांधीजी और गुरुजी अहिंसा और शांति को बढ़ावा देने के एक सामान्य लक्ष्य से बंधे हुए दो महान आत्मा थे. गाँधी जी पर जापान के निकिरेन बौद्ध धर्म का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंनेन मो हो रांगे कोयो सीखा और उनके प्रार्थना सत्र की शुरुआत मंत्रोच्चारण के साथ हुई. राष्ट्रपति ने कहा की मैं अभी जापान की यात्रा से लौटा हूं. यात्रा के दौरान 21 अक्टूबर को मैंने फ़ूजी गुरुजी द्वारा स्थापित गोटेम्बा पीस फाउंडेशन के एक प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की. मुझे लगभग 45 साल पहले फ़ूजी गुरुजी से मिलने का सौभाग्य मिला था. मुझे आज भी वह शाम याद है. शायद यह वर्ष 1974 में था, जब उन्होंने स्वर्गीय मोरारजी देसाई के नई दिल्ली निवास में प्रवेश किया. अपने शिष्यों के साथ ढोल बजाकर और ढोल बजाकर उनका स्वागत किया और मोरारजीभाई ने हाथ जोड़कर उनका स्वागत किया. फ़ूजी गुरुजी एक बौद्ध भिक्षु और मोरारजी देसाई हिंदू जीवन पद्धति और सनातन धर्म के उपासक के अनुयायी अपने सामान्य आध्यात्मिक लक्ष्य - विश्व शांति से बंधे हुए थे. मुझे मोरारजी देसाई के साथ काम करने का सौभाग्य मिला जो 1977 से 1979 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. हमारे लोकतंत्र पर बौद्ध आदर्शों और प्रतीकों का प्रभाव गहरा और दृश्यमान है. हमने अशोक के शेर को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाया है. हमारी संसद के निचले सदन में, जिसे लोकसभा कहा जाता है, अध्यक्ष की कुर्सी के ऊपर "धर्म चक्र प्रवरतनय" शब्द अंकित है, जिसका अर्थ है 'गति में धम्म या धार्मिकता का चक्र स्थापित करना'. हमारे संविधान के निर्माता डॉ। भीमराव अंबेडकर ने हमारे संसदीय लोकतंत्र पर प्राचीन बौद्ध संघों के ऋण का प्रकाश डाला. प्राचीन काल में बुद्ध के संदेश और अनुयायी एशिया के अधिकांश हिस्सों में फैले थे. 

बुद्ध के आठ गुना पथ ने न केवल दुनिया भर में आध्यात्मिक परिदृश्य को बदल दिया, बल्कि नैतिक और स्थायी सामाजिक, राजनीतिक और वाणिज्यिक प्रथाओं को भी प्रोत्साहित किया. बाद में बौद्ध धर्म अन्य महाद्वीपों में भी फैल गया. करुणा, समानता, संयम और अहिंसा पर जोर दिया गया है. बुद्ध की अपील दुनिया भर में बौद्ध धर्म के 500 मिलियन अनुयायियों से कहीं अधिक है. बुद्ध के मार्ग की आवश्यक भावना को आगे बढ़ाते हुए महात्मा गांधी ने महाद्वीपों के नेताओं और लोगों को एक वैश्विक आइकन के रूप में उभरने के लिए प्रभावित किया. भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी ने विचार, कर्म और बोले गए शब्द की एकता का प्रचार किया और हमें अच्छाई के लिए अपनी सहज क्षमता दिखाई. उनका अपना जीवन ही उनका संदेश बन गया. बुद्ध और महात्मा गांधी की कालातीत शिक्षाओं में एक व्यक्ति, एक समुदाय, एक देश और पूरे विश्व के सामने आने वाली मूलभूत समस्याओं का समाधान पाया जा सकता है. बुद्ध के आदर्शों के साथ बड़ी संख्या में लोगों को जोड़ने की आवश्यकता है. बुद्ध से संबंधित स्थानों में विरासत पर्यटन को बढ़ावा देना लोगों को आकर्षित करने का एक प्रभावी तरीका है, विशेष रूप से युवाओं को बौद्ध धर्म की भावना के लिए. मुझे बताया गया है कि जापानी संस्थाएँ बौद्ध सर्किट के विकास में सहायता प्रदान कर रही हैं. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और बिहार सरकार एक एकीकृत बौद्ध सर्किट पर्यटन विकास परियोजना पर अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम के साथ सहयोग कर रहे हैं. बेहतर कनेक्टिविटी और सुविधाएं प्रदान करने के इन प्रयासों के साथ, आगंतुकों के लिए सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार जारी रहेगा. भगवान बुद्ध ने कहा था, नत्थी संतिपरम सुखम ’जिसका अर्थ है शांति से बड़ा कोई आनंद नहीं’. आज के समारोह में हर प्रतिभागी का एकमात्र उद्देश्य शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना होना चाहिए क्योंकि गरीबी और संघर्ष को कम करने के लिए शक्तिशाली साधन बुद्ध से गांधी तक 'लाइट ऑफ एशिया' ने दुनिया को सही रास्ता दिखाया है. मुझे यकीन है कि यह हमारे रास्ते को शांति, सद्भाव और समृद्धि से भरे भविष्य के लिए उज्ज्वल करता रहेगा. इस मौके पर मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार ने कहा कि फूजी गुरु जी का भारत से संबंध न सिर्फ शांति स्तूप के निर्माण के समय से ही है बल्कि उसके पूर्व देश की आजादी की लड़ाई के समय से ही था. पिछले वर्ष जापान की यात्रा के दौरान राजदूत सूजन राज चियोय ने बताया था कि गांधी जी के तीन बंदर बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो की मूर्ति फूजी गुरु जी ने ही गांधी जी को दी थी. उन्होंने कहा कि 1969 में ही देश का पहला रोप-वे यहां बना था, जिसके पहले यात्री लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी थे. उसी समय भूदान आंदोलन से संबंधित यहां एक भव्य कार्यक्रम हुआ था, जिसमें आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे लोग शामिल हुए थे. 

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इस विश्व शांति स्तूप से पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 राजेंद्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जैसे लोगों का भी संबंध रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर ऐतिहासिक जगह है. यह मगध की पहली राजधानी थी. यहां बिंबिसार का अखाड़ा है. अजातशत्रु यहां से राजधानी स्थानांतरित कर पाटलिपुत्र ले गए थे. बगल में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है. उन्होंने कहा कि शांति स्तूप के सामने गृद्धकूट पर्वत है. ज्ञान प्राप्ति के बाद राजगीर में भगवान बुद्ध गृद्धकूट पर्वत पर कई बार उपदेश देने आते थे. यहां से भगवान महावीर, मखदूम साहब, गुरुनानक देव जी का भी संबंध रहा है. हिंदू धर्म के प्रसिद्ध मलमास मेले में 33 करोड़ देवी-देवता के यहां उपस्थित होने की अवधारणा है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में यहां पहली बार राज्य मंत्रीमंडल की बैठक हुई थी, उसी समय नया रोप-वे बनाने का निर्णय लिया गया था. जिसका निर्माण कार्य हो गया है लेकिन अभी उसका निरीक्षण चल रहा है. उन्होंने कहा कि बुद्ध शांति स्तूप से अशोका स्तूप तक जाने के मार्ग को सुगम बनाया जा रहा है. गृद्धकूट पर्वत पर जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया गया है. हमलोगों का प्रयास है कि इस विश्व शांति स्तूप पर अधिक से अधिक लोग आएं और शांति के भाव को आत्मसात कर सकें. हमलोगों की कोशिश है कि यहां आने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर को इको टूरिज्म सेंटर के रुप में विकसित किया जा रहा है. राजगीर के घोड़ाकटोरा में 50 फीट की बुद्ध की मूर्ति लगायी गई है. उन्होंने कहा कि पटना में बुद्ध स्मृति पार्क बनाया गया है जहां बुद्ध से जुड़े  म्यूजियम और विपश्यना केंद्र हैं. यहाँ बोधगया एवं अनुराधापुरम से बोधिवृक्ष मंगाये गये हैं, जिसे बुद्ध की प्रतिमा के इर्द-गिर्द लगाया गया है. उन्होंने कहा कि वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण कराया जा रहा है. वैशाली से भगवान बुद्ध की अथेन्टिक रेलिक्स मिली है, जिस पर वहां स्तूप बनेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि जापान की यात्रा के दौरान साढ़े सात सौ वर्ष पुरानी मूर्ति को देखने का मौका मिला था. आज के समय इस विश्व शांति स्तूप का और महत्व है. लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भी यहां आकर शांति का भाव ग्रहण कर सकते हैं. हमलोग भगवान बुद्ध के विचारों के अनुरुप प्रेम, सदभाव को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जापान-भारत का संबंध मजबूत है और हमलोगों की इच्छा है कि यह और मजबूत बना रहे. इस अवसर पर  कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, चीफ मांक ऑफ निपोजन मयोहोजी वेन जी0 योशिदा, चेयरमैन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर सी0जी0सी0 कम्पनी ऑफ जापान एंड वाइस चेयरमैन ऑफ राजगीर बुद्ध विहार सोसायटी अत्शुहिरो होरीयूची, राजगीर बुद्ध सोसायटी की सेक्रेटरी महाश्वेता महारथी ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री  श्रवण कुमार, पर्यटन मंत्री  कृष्ण कुमार ऋषि, सांसद  कौशलेंद्र कुमार, मुख्यमंत्री के परामर्शी  अंजनी कुमार सिंह, कला संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव  मनीष कुमार वर्मा, पटना के आयुक्त संजय अग्रवाल, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी  गोपाल सिंह नालंदा के डीएम योगेंद्र सिंह , एसपी नीलेश कुमार समेतअन्य बौद्ध भिक्षुगण एवं देश-विदेश से आए अतिथि एवं अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे. 

नालंदा से राज की रिपोर्ट 


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