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प्रधानमंत्री पद के दावेदार मुख्यमंत्री ने नहीं किया हाईकोर्ट और संविधान का सम्मान, गणतंत्र दिवस पर राजकीय कार्यक्रम का कर दिया बहिष्कार

प्रधानमंत्री पद के दावेदार मुख्यमंत्री ने नहीं किया हाईकोर्ट और संविधान का सम्मान, गणतंत्र दिवस पर राजकीय कार्यक्रम का कर दिया बहिष्कार

DESK : तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर (K. चंद्रशेखर राव) एक तरफ खुद को प्रधानमंत्री का दावेदार बताते तमाम विपक्षी पार्टियों के संग रैली करते हैं, वहीं दूसरी तरफ वह हाईकोर्ट के आदेश और संविधान का अपमान करने से भी नहीं चूके। देश के 74वें गणतंत्र दिवस पर जहां सभी राज्यों में राजकीय कार्यक्रम हो रहे थे, वहीं तेलंगाना में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के आपसी मनमुटाव के कारण हाईकोर्ट और केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी गणतंत्र दिवस का सार्वजनिक समारोह नहीं हो सका।

राजभवन में हुआ झंडोतोलन

तेलंगाना में सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड पर पारंपरिक रूप से हर साल होने वाला समारोह इस बार भी नहीं हुआ। दो साल से यह कोरोना की वजह से बंद था। इस बार भी राज्य सरकार ने कोविड प्रोटोकॉल का हवाला देकर इसे राजभवन में ही कराने की सूचना दी। जबकि केंद्र सरकार और तेलंगाना हाईकोर्ट ने इसे सार्वजनिक तौर पर आयोजित करने का निर्देश दिया था। अनुमति नहीं होने के कारण राजभवन में झंडावंदन कराया गया, लेकिन प्रोटोकॉल के तहत इसमें मुख्यमंत्री नहीं पहुंचे। वे एक शिलान्यास कार्यक्रम में चले गए। इस पर राज्यपाल ने नाराजगी जताई।

हाईकोर्ट में एक युवक ने लगाई थी याचिका

तेलंगाना सरकार ने कुछ दिन पहले गणतंत्र दिवस कार्यक्रम राजभवन में ही आयोजित करने के लिए चिट्‌ठी लिखी थी। इस पर हैदराबाद के एक युवक के. श्रीनिवास ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि सरकार ने सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड में गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने की परम्परा को बंद कर दिया।

श्रीनिवास का तर्क था कि यह गणतंत्र दिवस समारोह की भावना के खिलाफ है। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह को उचित तरीके से आयोजित करने से लोगों में देशभक्ति की भावना पैदा होती है। इसलिए कोर्ट राज्य सरकार को इसे पहले की तरह आयोजित करने का निर्देश दे।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा- केंद्र के दिशा-निर्देश के अनुसार करें कार्यक्रम

तेलंगाना हाईकोर्ट ने बुधवार को यानी 25 जनवरी को राज्य सरकार को केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार परेड समेत गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी कहा कि वह लोगों को समारोह देखने की अनुमति दे। हालांकि, कोर्ट ने आयोजन स्थल का चुनाव राज्य सरकार पर छोड़ दिया।

राज्यपाल बोलीं- तेलंगाना के इतिहास में लिखा जाएगा CM नहीं आएं

राजभवन के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री केसीआर के शामिल नहीं होने पर राज्यपाल मिलसाई सुंदरराजन ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा- तेलंगाना के इतिहास में लिखा जाएगा कि CM ने संविधान का सम्मान नहीं किया। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के खिलाफ जाकर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किया। CM चाहते थे कि मैं राजभवन में ही झंडा फहराऊं।

इसमें कोई सार्वजनिक भागीदारी नहीं हो। फिर भी मुझे उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री कार्यक्रम में आएंगे, क्योंकि दो महीने पहले मैंने एक पत्र लिखा था कि इस बार जनभागीदारी से भव्य तरीके से कार्यक्रम किया जाए। लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। अभी दो दिन पहले उन्होंने पत्र दिया कि राजभवन में आयोजन किया जाए। उस पत्र में भी उन्होंने इस बात का जिक्र नहीं किया कि वे इसमें शामिल होंगे।

सैनिक स्मारक का शिलान्यास करने पहुंच गए केसीआर

CM के. चंद्रशेखर राव गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, लेकिन वे सिकंदराबाद में विरुला सैनिक स्मारक मैदान के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हुए। ये दोनों कार्यक्रम एक ही समय पर हुए। बता दें कि तेलंगाना सरकार और राज्यपाल तमिलसाई सुंदरराजन के बीच इन दिनों तनातनी चल रही है। इसी के चलते गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल द्वारा पढ़े जाने वाले भाषण को भी सरकार ने नहीं भेजा। बजट सत्र में भी इस बार राज्यपाल सदनों को संबोधित नहीं करेंगी।

इस कारण से है टकराव

राज्यपाल मिलसाई सुंदराजन बीजेपी से हैं। वे पार्टी की राष्ट्रीय सचिव और तमिलनाडु की प्रदेश अध्यक्ष रही हैं। वहीं, केसीआर बीजेपी विरोधी धड़े से हैं। वे लगातार मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करते रहे हैं। इसके अलावा राज्य सरकार का आरोप है कि राज्यपाल ने उनके कई विधेयक रोक रखे हैं। वो सरकार के काम में दखल देती हैं।


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