NEW DELHI : केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत से आम लोगों को भले ही फायदा हो, लेकिन इससे कई बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल्स खुश नहीं हैं।फोर्टस,अपोलो,मेदांता , नारायणा हेल्थ जैसे बड़े हॉस्पिटल्स का कहना है कि इस स्कीम के तहत जितने पैसों में इलाज करने के लिए कहा जा रहा है उतने में अच्छा इलाज देना उनके लिए मुमकिन नहीं होगा। इसके लिए असोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ने आयुष्मान भारत के सीईओ इंदु भूषण को पत्र भी भेजा है। पत्र में लिखा है, 'जो रेट तय किए गए हैं, उसमें प्राइवेट हॉस्पिटल्स के लिए खुद को बचाए रखना आसान नहीं होगा।
' वहीं दूसरी तरफ तय रेट्स की सफाई में भूषण ने कहा है कि रेट राष्ट्रीय स्तर पर तय भले ही किए गए हैं, लेकिन राज्यों को 10 प्रतिशत तक बदलाव करने की छूट है जिसकी वजह से अब ऐसी दिक्कत आनी ही नहीं चाहिए। वहीं नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल ने कहा कि इस स्कीम को प्राथमिक मकसद छोटे शहरों तक अच्छे इलाज की सुविधा को पहुंचाना है और इसके लिए प्राइवेट हॉस्पिटल्स को फालतू के 'तामझाम' कम करके अपने बिलों में कटौती करनी चाहिए। हालांकि, प्राइवेट हॉस्पिटल्स साफ कहते हैं कि अच्छी सेवाएं देने के लिए पैसा तो खर्च होगा ही।
नारायणा हेल्थ के चेयरमैन डॉक्टर देवी शेट्टी ने कहा कि रेट तय करने के लिए एक
स्वतंत्र एजेंसी बनाई जानी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, आनेवाले
दिनों में रेट्स में कुछ हद तक बदलाव किए भी जा सकते हैं। लेकिन इसके लिए प्राइवेट
हॉस्पिटल्स को कोई ठोस पक्ष रखना होगा। बता दें कि मोदी सरकार की इस स्कीम को मोदी केयर भी नाम दिया गया है। इससे 50 करोड़ देशवासियों को फायदा होगा। इसमें 10.74 करोड़ वंचित परिवारों को शामिल किया जाएगा और प्रति
परिवार को 5 लाख रुपये तक का
हेल्थ कवर मिलेगा।