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सरकार की ये कैसी दोहरी नीति, पुलवामा में मारे गए 42 जवान नहीं कहलाएंगे शहीद

सरकार की ये कैसी दोहरी नीति, पुलवामा में मारे गए 42 जवान नहीं कहलाएंगे शहीद

न्यूज4नेशन डेस्क- जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने एक बार फिर से कायराना तरीके से सीआरपीएफ के जवानों पर आत्मघाती हमला बोला है. इस हमने में 42 जवानों शहीद हो गए हैं जबकि कई जवान घायल हैं. इस हमले की जिम्मेदारी आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. इस हमल का मास्टर माउंड आदिल अहमद डार को बताया जा रहा है जो कि पुलवामा के काकपोरा का ही रहने वाला है.

एक और जहां पूरा हिन्दुस्तान 42 जवानों की शहादत पर आंसू बहा रहा है.सरकार भी करारा जवाब देने की बात कह रही है लेकिन इन सब के बीच एक चौकाने वाली बात यह है कि इस हमले में मारे गए CRPF के जवानों को हम लोग तो शहीद कह देते हैं लेकि सरकार इन्हें शहीद का दर्जा नहीं देती. CRPF, BSF, ITBP या ऐसी ही किसी फोर्स से जिसे पैरामिलिट्री कहते हैं उनके जवान अगर ड्यूटी के दौरान मारे जाते हैं तो उनको शहीद का दर्जा नहीं मिलता है. जबकि थलसेना, नौसेना या वायुसेना के जवान ड्यूटी के दौरान अगर जान देते हैं तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है. थलसेना, नौसेना या वायुसेना रक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है तो वहीं पैरामिलिट्री फोर्सेज गृह मंत्रालय के तहत काम करते हैं.

पैरामिलिट्री को इन सुविधाओं से रखा गया है महरूम

बात शहीद के दर्जे में भेदभाव की हो या फिर पेंशन, इलाज, कैंटीन की, जो सुविधाएं सेना के जवानों को मिलती है, वह पैरामिलिट्री को नहीं दिया जाती है. शहीद जवान के परिवार वालों को राज्य सरकार में नौकरी में कोटा, शिक्षण संस्थान में उनके बच्चों के लिए सीटें आरक्षित होती हैं. पैरामिलिट्री के जवानों को ऐसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं. इतना ही नहीं पैरामिलिट्री के जवानों को पेंशन की सुविधा भी नहीं मिलती है. जब से सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद हुई है, तब से सीआरपीएफ-बीएसएफ की पेंशन भी बंद कर दी गई. सेना इसके दायरे में नहीं है.

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