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गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्राया पूर्णिया, 200 राउंड फायरिंग से दहशत में ग्रामीण

गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्राया पूर्णिया, 200 राउंड फायरिंग से दहशत में ग्रामीण

PURNIYA : जिले रघुवंश नगर ओपी क्षेत्र के मौजमपट्टीसे सटा शिशवा गांव के लोग दहशत में है। ग्रामीण किसी बड़ी घटना को लेकर खौफ में है। 

दरअसल गुरुवार आधी रात को यह गांव गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रा उठा। बताया जा रहा है कि कोसी-सीमांचल के सबसे कुख्यात दो गिरोह के बीच ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई। हालांकि गोलीबारी की घटना में किसी तरह के जानमाल की क्षति नहीं पहुंची। लेकिन ताबड़तोड़ गोलीबारी की मुख्य वजह एक-दूसरे का जान लेना ही था।

पुलिस के अनुसार कुख्यात बुचन यादव और अखिलेश-भूषण यादव गिरोह के बीच कई वर्षों से पुरानी रंजिश चल रही है। पिछले साल फरवरी और मार्च में भी गोलीबारी हुई थी। इसी मामले में बुचन यादव जेल में है। 

बताया जा रहा है कि गुरुवार देर रात इन्हीं दो गिरोह के बीच ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई। ग्रामीणों की माने तो तकरबीन दो सौ राउंड फायरिंग हुई। घटना के बाद से इलाके में दहशत व्याप्त है।

इस मामले में पूर्व मुखिया बालो यादव की पत्नी अरुणा देवी के लिखित बयान पर मौजमपट्टी निवासी बुचन यादव के बड़े बेटे साहिल सौरभ, मधेपुरा जिला के बिहारीगंज थानाक्षेत्र के पकिलपाड़ निवासी जयचंद यादव, हथिओंधा निवासी प्रमोद यादव, विनोद यादव पर नामजद और 20 अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। 

रघुवंश नगर ओपी प्रभारी महादेव कामत ने बताया कि गुरुवार देर रात शिशवा नहर के बीच गोलीबारी की जांच के दौरान 48 खोखा और एक कारतूस बरामद हुआ है।

धमदाहा एसडीपीओ प्रेम सागर ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। पुरानी रंजिश में दो गुटों की बीच गोलीबारी की बात सामाने आ रही है। उन्होंने कहा कि इलाके में शांति भंग करने वालों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अपराधियों को दबोचने के लिए टीम का गठन कर छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है। जल्द ही गिरफ्तारी होगी।

बता दें धमदाहा के रघुवंश नगर ओपी क्षेत्र के मौजमपट्टी और शिशवा गांव में गोलीबारी की यह वारदात कोई नयी नहीं है। कई सालों से ऐसा गैंगवार चला आ रहा है। इधर 9 माह पूर्व ही मौजमपट्टी में इसी दो गिरोहों के बीच खूनी संघर्ष हो चुका है। इलाके में दहशत का आलम यह है कि अबतक दर्जनों घर खाली हो चुके हैं। 

बुचन यादव की गिरफ्तारी के बाद ऐसा माना जा रहा था कि इलाके में गोलियों की आवाज कम सुनाई देगी। लेकिन एक ओर जहां बुचन के बड़े बेटे ने उत्तराधिकारी के तौर पर कमान संभाली, वहीं दूसरी ओर अखिलेश और भूषण यादव भी कई महीनों तक अंडर ग्राउंड रहने के बाद फिर से इलाके में दहशत फैलाने बाहर आ गया। 


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