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स्थापना के दो साल के अंदर ही विवाद में आया पूर्णिया विश्वविद्यालय, एमएलसी ने राज्यपाल से की कार्रवाई की मांग

स्थापना के दो साल के अंदर ही विवाद में आया पूर्णिया विश्वविद्यालय, एमएलसी ने राज्यपाल से की कार्रवाई की मांग

Patna : सृजित पूर्णिया विश्व विद्यालय विवादों में आ गया है। अट्ठारह मार्च 2018 को अस्तित्व में आये इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रो0 राजेश सिंह विवाद के केंद्र में हैं। पिछले 28 महीनों के कार्यकाल को देखते हुए उनपर प्रशासनिक एवं वित्तीय अनियमितताओं का गंभीर आरोप लगाते हुए विधान परिषद् सदस्य डॉ. संजीव कुमार सिंह ने राज्यपाल सह कुलाधिपति को तीन पेज का ज्ञापन सौंपते हुए कार्रवाई की मांग की है।

विधान परिषद् सदस्य डॉ. संजीव कुमार सिंह ने कुलपति प्रो. राजेश सिंह पर बेहद गंभीर आरोप लगते हुए कहा है कि स्थापित नियमों के विपरीत काम करने की वजह से विश्वविद्यालय में अराजकता का माहौल बन गया है जिससे छात्रों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। 

डॉ. संजीव कुमार सिंह के ज्ञापन पर करवाई करते हुए शिक्षा विभाग के विशेष सचिव सतीश चंद्र झा ने पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति से पांच बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है।

कुलपति पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता बरतने का आरोप है।  इसके अलावा बायोटेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट सीटों के निर्धारण में राज्य सरकार की अनुमति न लेने का भी आरोप है।

महत्वपूर्ण यह भी है कि पिछले और मौजूदा शैक्षणिक सत्र में एक भी महाविद्यालय के संबंधन का प्रस्ताव नहीं आया है।  संबंधन के पूर्व राज्य सरकार की सहमति आवश्यक होती है जिसके बाद ही कोई निजी महाविद्यालय अपने यहाँ छात्र छात्रों का नामांकन ले सकता है। इसलिए कुलपति से यह जानकारी भी मांगी गयी है कि किसी निजी महाविद्यालय में नामांकन हुआ है अथवा नहीं।

वहीं विश्व विद्यालय में वर्ग तीन और चार की नियुक्ति के बारे में भी उनसे जानकारी मांगी गयी है क्योंकि अभी इन पदों पर नियुक्ति पर रोक लगी हुई है। इसके अलावा पी.एच.डी. पाठ्यक्रम की अनुमति राजभवन ने नहीं दी है , फिर भी मनमाना शुल्क लेकर पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। 

एमएलसी ने लिखा है कि लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि कुलपति के स्तर से शिक्षा विभाग को अभीतक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गयी है। 

गौरतलब है कि विधान पार्षद डॉ. संजीव कुमार सिंह ने कुलपति की कार्यशैली के बारे में कुलाधिपति का ध्यान पहली बार पिछले साल सत्ताईस सितंबर को आकृष्ट कराया था।  लेकिन कोई करवाई नहीं होने पर इस वर्ष चार मई को कुलाधिपति को दूसरा ज्ञापन सौंपा जिसके बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया, लेकिन कुलपति प्रो0 राजेश सिंह की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। 

जिसके बाद एमएलसी ने कुलाधिपति को दूसरी बार सौंपे गए तीन पेज के ज्ञापन में डॉ. संजीव कुमार सिंह ने  कुलाधिपति से अनुरोध किया है कि इस मामले की जांच कराई जाए ताकि पूर्णिया में विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य पूरा हो सके और छात्रों के भविष्य को अँधेरे में डूबने से बचाया जा सके।

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