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रघुवंश को सता रहा है सवर्णों के आरक्षण का सवाल, झुंझलाहट में टाल गए जवाब

रघुवंश को सता रहा है सवर्णों के आरक्षण का सवाल, झुंझलाहट में टाल गए जवाब

PATNA : आरक्षण और उस पर जारी सियासत का असर ऐसा है कि कभी-कभी बड़े-बड़े नेताओं की बोलती बंद हो जाती है। देशभर में गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की मांग जोर पकड़ रही है। NDA के अंदर शामिल दल भी आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत कर रहे हैं लेकिन आरजेडी के अंदर सवर्ण तबके से आने वाले नेताओं की हालत ऐसी है कि वह चाहकर भी इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे । पिछड़े जमात की राजनीति करने वाले आरजेडी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे रघुवंश प्रसाद की मजबूरी भी कुछ ऐसी ही है। आज प्रेसवार्ता के दौरान मीडिया ने जब आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों के लिए आरक्षण की लेकर जारी बहस की बाबत सवाल किया तो रघुवंश बाबू झुंझला गए।

जब झुंझला गये रघुवंश प्रसाद सिंह

राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह अगड़ी जाति से आते हैं। उनसे सवाल पूछा गया कि आप सवर्ण हैं, सवर्णों के भारत बंद आंदोलन का आप समर्थन करते हैं या विरोध ? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि संविधान में केवल सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने की बात कही गयी है। गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इसके बाद उनके सामने एक और सवाल उछला- कांग्रेस आपकी सहयोगी दल है, उसने गरीब अगड़ों को 10 फीसदी आरक्षण देने की बात कही है, राजद का इस मुद्दे पर क्या सोचना है ?   इस सवाल पर रघुवंश प्रसाद सिंह थोड़े असहज हो गये और राम विलास पासवान का हवाला देकर कन्नी काटने की कोशिश की। फिर बोले मैं नरेन्द्र मोदी की तरह पोलिटिकल बयान नहीं देता। उनके सामने फिर सवाल आया- सवर्णों के आरक्षण पर कुछ तो बोलिए- इस पर वे झुंझला गये। उन्होंने झल्लाते हुए कहा- नौकरी है नहीं, फिर आरक्षण- आरक्षण क्यों कर रहे हैं ?

 

नीतीश सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन

रघुवंश प्रसाद सिंह, नीतीश सरकार को घेरने की रणनीति बताने के लिए मीडिया से रू-ब-रू हुए थे लेकिन खुद सवालों में घिर गये। उन्होंने बताया कि नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए 35 मुद्दों पर जनआंदोलन शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत अगस्त से हो चुकी है। अगस्त-सितम्बर महीने में राजद कार्यकर्ता गांव टोलों में जा कर लोगों से मुलाकात कर रहे हैं। बूथ स्तर पर ग्रामीण संघर्ष समिति का गठन किया जा रहा है। अक्टूबर में प्रखंड स्तर पर जनसम्पर्क अभियान चलेगा। नवम्बर में प्रमंडल और जिला स्तर पर धरना-प्रदर्शन होगा। दिसम्बर में हर पंचायत में 60 सत्याग्रही तैयार किये जाएंगे। इस दौरान सेमिनार और पदयात्राएं भी होंगी।

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