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इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति हटाने पर गुस्से में राहुल गाँधी, देशप्रेम और बलिदान की समझ पर उठाए सवाल

इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति हटाने पर गुस्से में राहुल गाँधी, देशप्रेम और बलिदान की समझ पर उठाए सवाल

दिल्ली. ऐतिहासिक इंडिया गेट पर 50 सालों से जल रही 'अमर जवान ज्‍योति'का विलय नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल के साथ करने के निर्णय पर कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने सवाल उठाया है. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए परोक्ष रूप से सत्ताधारी दल पर हमला किया है. उन्होंने ट्वीट किया- बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा. कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!

दरअसल राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर 50 साल से जल रही अमर जवान ज्‍योति शुक्रवार को बुझ जाएगी. अब यह मशाल नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल के साथ मिल जाएगी और वहीं प्रज्ज्वलित होगी. इंडियन आर्मी के अनुसार अमर जवान ज्योति की मशाल को शुक्रवार दोपहर नेशनल वॉर मेमोरियल लाया जाएगा. वहां एक समारोह में दोनों लौ को आपस में मिला दिया जाएगा. समारोह की अध्यक्षता एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण करेंगे.

ऐतिहासिक इंडिया गेट पर 50 सालों से जल रही 'अमर जवान ज्‍योति' इसकी विशेष पहचान बन गई थी. 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध में शहीद हुए 3843 भारतीय सैनिकों की याद में इंडिया गेट पर 1972 में अमर जवान ज्योति जलाई गई. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था. 

वहीं नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन  25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. 40 एकड़ जमीन पर 176 करोड़ रुपए की लागत से इसका निर्माण 1947 के बाद से शहीद हुए 26466 भारतीय जवानों के सम्मान में किया गया है. इंडिया गेट से महज 400 मीटर की दूरी पर स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल में भी एक प्रकार की अमर जवान ज्योति जल रही है. अब उसी ज्योति के साथ इंडिया गेट के अमर जवान ज्योति का विलय हो जाएगा. 

42 मीटर ऊंचे इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने किया था. 1914-21 के बीच पहले विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में ब्रिटिश सेना की तरफ से शहीद होने वाले 84,000 भारतीय सैनिकों की याद में इंडिया गेट बनाया था. '

राहुल गाँधी के ट्वीट पर कई लोगों ने उनकी आपत्ति पर सहमती जताई है और इंडिया गेट और अमर जवान ज्योति की महत्ता को ध्यान में रखते हुए वहां मौजूद सैन्य परम्परा को बरकरार रखने की वकालत की. 


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