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63 वें तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस में शामिल हुए राज्यसभा सांसद अमरेन्द्रधारी सिंह, कहा तिब्बतियों के साथ खड़ा है भारत

63 वें तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस में शामिल हुए राज्यसभा सांसद अमरेन्द्रधारी सिंह, कहा तिब्बतियों के साथ खड़ा है भारत

DHARMSHALA : केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की ओर से 63वें तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस के अधिकारिक स्मरणोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर उन शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी, जिन्होंने 1959 में चीनी सेना का विरोध करते हुए अपनी जान गंवाई थी। इस कार्यक्रम में जहाँ मुख्य अतिथि के रूप में चेक सीनेट के उपाध्यक्ष जिरी ओबरफेलजर मौजूद रहे। जिनके साथ चेक संसदीय दल का एक प्रतिनिधिमंडल भी था। वहीँ भारत की ओर से राज्यसभा सदस्य अमरेंद्र धारी सिंह बतौर अतिथि शामिल हुए। वहीँ कार्यक्रम में  केंद्रीय तिब्बती प्रशासन  के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। 

इस मौके पर राज्यसभा सांसद अमरेन्द्रधारी सिंह ने तिब्बतियों के संघर्ष और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा की, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चीन से सम्बन्धित है। उन्होंने तिब्बती पठार के सैन्यीकरण, पर्यावरण क्षरण, अमानवीय दमन और अद्वितीय तिब्बती भाषा, संस्कृति और धर्म को नष्ट करने के प्रयासों के लिए चीन के प्रति नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा की चीन को यह कहने की अनुमति नहीं दी सकती की यह आंतरिक मामला है। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, यह मानवाधिकारों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का मामला है। यह भारत संस्कार है। अमरेन्द्रधारी सिंह ने कहा की चीन को मजबूत सन्देश जाना चाहिए की भारत तिब्बतियों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर खड़ा है। उन्होंने तिब्बतियों को धर्म और संस्कृति के भारत के समर्थन का आश्वासन दिया।

इसके पहले राज्यसभा सांसद अमरेन्द्र धारी सिंह ने 9 मार्च को निर्वासित तिब्बती संसद का दौरा किया।  तिब्बती संसद के अपनी यात्रा के दौरान अध्यक्ष खेंपो सोनम तेनफेल और उपाध्यक्ष डोल्मा त्सेरिंग तेयखांग के नेतृत्व में स्थायी समिति के सदस्यों से मुलाकात की। इस दौरान भारतीय सांसद को डिप्टी स्पीकर द्वारा स्थायी समिति के प्रत्येक सदस्य से मिलवाया गया और उन्हें विकास, सत्र और संसद की संरचना सहित कई मुद्दों पर जानकारी दी गई। भारतीय सांसद ने स्थायी समिति के सदस्यों से, जो हाल ही में तिब्बत से आए हैं, चीनी शासन के अधीन रहने की उनकी कठिनाइयों के बारे में पूछताछ की और चीन द्वारा तिब्बत में तिब्बती खानाबदोशों के जबरदस्ती ‘पुनर्स्थापन’, तिब्बत में कीमती खनिजों की निकासी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की।

अध्यक्ष ने भारतीय संसद में तिब्बत का मुद्दा उठाने और तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस के आधिकारिक स्मरणोत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए ए.डी. सिंह का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सदियों की साझा संस्कृति और धर्म के साथ भारत और तिब्बत की दोस्ती की सराहना की। उन्होंने आगे तिब्बतियों को सुविधाएं और सहायता प्रदान करने के लिए 6 दशकों से अधिक समय तक तिब्बतियों की मेजबानी करने के लिए भारत और उसके लोगों को धन्यवाद दिया।

राज्यसभा सांसद ने तिब्बत के मुद्दे के लिए पूर्ण समर्थन और तिब्बतियों के साथ अपनी एकजुटता का आश्वासन दिया। बैठक समाप्त करने से पहले अध्यक्ष द्वारा निर्वासित तिब्बती संसद की ओर से ए.डी. सिंह को बुद्ध की एक थंगका पेंटिंग भेंट की गई।

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