दरभंगा - बिहार के दरभंगा जिला में राज परिसर स्थित श्रीराम मंदिर नेपाल के जनकपुरधाम से भी प्राचीन है। जानकारी के अनुसार वर्ष 1807 में तत्कालीन महाराज क्षत्र सिंह ने इस मंदिर की स्थापना कराई थी। जो आज ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय परिसर के नरगौना पैलेस परिसर के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर के स्थापना के 80 वर्ष बाद 1896 में जनकपुरधाम में श्रीराम मंदिर की स्थापना हुई थी। इस मंदिर की देखरेख कामेश्वर सिंह धार्मिक न्यास के माध्यम से होती है। वही मंदिर के पुजारी का कहना है कि यहां पर नियमित रूप से सत्संग के माध्यम से रामचरित मानस का पाठ होता है।
वही MBA छात्रा शिखा ने कहा कि हमलोग कॉमर्स एंड बिजनेश एडमिस्ट्रेसन की पढ़ाई कर रहे है। यहां आने के बाद पता चला कि यह राममंदिर 300 से 400 साल पुराना मंदिर है। यहां पर श्रीराम मंदिर में पूजा-अर्चना करने से मन को शांति मिलती है। वह कहीं प्राप्त नहीं होती है। वही उन्होंने कहा कि जब भी हमारा क्लास खाली रहता है तो हमलोग यही आकार बैठते है। हमलोग को अच्छा लगता है और मन को काफी शांति मिलती है। मंदिर काफी पुराना है लेकिन आज भी मंदिर के अंदर शान्ति वाला वाइब मिलता है।हमलोगों ने तय किया है कि 22 तारिक को अयोध्या में रामलाला का इनोग्रेसन है। हमलोग तो वहां नही जा सकते। इसीलिए हमलोगों ने फैसला लिया है कि यहां पर दीपोत्सव मनायेगें।
वही मंदिर के संदर्भ में कन्हाई कांत झा ने बताया की 1542 में जब राजपरिवार को सम्राट अकबर के द्वारा राजगद्दी प्राप्त हुआ। उस वक्त से हमारा परिवार राजपरिवार से जुड़े रहे है। उन्होंने बताया की राम मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना मंदिर है। इस मंदिर में राजपरिवार के महाराज और महारानी प्रतिदिन सामने वाले तालाब में स्नान कर यहां पूजा-पाठ करते थे। वही उन्होंने कहा कि 1934 के भूकंप में मंदिर के क्षतिग्रस्त होने पर तात्कालिक महाराज कामेश्वर सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। तथा लंबे समय तक कामेश्वर सिंह इस मंदिर के सेवक रहे। वही उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसके जीणोद्धार के लिए प्रयास किया जा रहा है।
वही मंदिर के मुख्य पुजारी कामेश्वर झा ने कहा कि राजपरिवार के 14वे महाराज क्षत्र सिंह ने 1807 में इस मंदिर का स्थापना किया था। वर्तमान में यह मंदिर कामेश्वर धर्म न्यास के अंदर संचालित होता है। वहीं उन्होंने कहा कि राम मंदिर की बनावट की बात करें तो दक्षिण मुख में रामदरबार बना हुआ है। जिसमें प्रभु श्री राम की मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है। वही पूर्व की दिशा में राधा कृष्ण तथा पश्चिम की ओर गौड़ी शकर का दरबार है। वही उन्होंने कहा कि इस मंदिर में आज भी वैदिक रीति से पूजा-पाठ होता है। रामनवी, जानकी नवमी जैसे अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होता है।