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राम मंदिर मामला : आडवाणी से लेकर इन नेताओं तक की रही है बड़ी भूमिका

राम मंदिर मामला : आडवाणी से लेकर इन नेताओं तक की रही है बड़ी भूमिका

NEWS4NATION DESK : भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को बदल देने वालेराम मंदिरमामले पर करीब 70 साल तक चली कानूनी लड़ाई और 40 दिन तक मैराथन सुनवाई के बाद शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्‍या में राम मंदिर का रास्‍ता साफ कर दिया।  

धार्मिक आस्था से जुड़ी इस लंबी लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही हजारों कारसेवक बड़ी भूमिका रही हैं।  जिन्होंने 1992 में अयोध्या में 16वीं शताब्दी में बने विवादित ढांचे को गिराने में भूमिका निभाई थी ।
 
 1980 के दशक में उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की मांग बढ़ी, जिसके बाद वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 में देशव्यापी रथ यात्रा का नेतृत्व किया। 1992 में अयोध्या में भाजपा, विहिप और आरएसएस द्वारा एक बड़ी रैली की गई, जिसके बाद छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया। 1992 की उस बड़ी घटना की देश ही नहीं पूरे विश्व में चर्चा हुई। उसके साथ ही देश के कुछ ऐसे चेहरे है जो पूरे विश्व में चर्चा के केन्द्र बन गए। 

बाबरी ढांचे को गिराने के बाद जिन चेहरों की सबसे ज्यादा चर्चा हुई उनमें बीजेपी के लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विजया राजे सिंधिया,उमा भारती, कल्याण सिंह, विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल और शिवसेना के बाला साहेब ठाकरे और कांग्रेस से नरसिंहा राव प्रमुख रुप से रहे।
 लाल कृष्ण आडवाणी : राम मंदिर निर्माण को लेकर 1990 में भाजपा अध्यक्ष के रूप में आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की, जिसका समापन अयोध्या में होना था। उनकी रथयात्रा ने देश भर में लोकप्रियता हासिल की, क्योंकि उनका हर उस स्थान पर जोरदार स्वागत किया गया, जहां वह पहुंचे। इस तरह राम मंदिर के निर्माण की मांग को बल मिला।

मुरली मनोहर जोशी :जोशी ने अपने पूर्ववर्ती आडवाणी की तरह 1991 में भाजपा अध्यक्ष का पद संभाला था। उन्होंने मंदिर के लिए हो रहे आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। सीबीआई के अनुसार, जोशी पर आरोप है कि वह छह दिसंबर को आरएसएस के अन्य नेताओं के साथ मंच पर थे। उन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश रचने का आरोप है।

विजया राजे सिंधिया :ग्वालियर की राजमाता और भाजपा की एक वरिष्ठ नेता सिंधिया छह दिसंबर को भाजपा, आरएसएस और विहिप नेताओं के साथ अयोध्या की रैली में मौजूद जाने-माने नेताओं में से एक थीं।
 
 
 
उमा भारती :भारती भी छह दिसंबर को अयोध्या में मौजूद भाजपा नेताओं में से एक थीं। उन पर सांप्रदायिक भाषण देने और हिंसा भड़काने का आरोप है। सीबीआई द्वारा की गई जांच में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उन पर आपराधिक साजिश रचने का भी आरोप है।
 
 अशोक सिंघल :सिंघल विहिप के अध्यक्ष थे और 1984 में अभियान के पीछे रहे उन प्रमुख लोगों में से एक थे, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर की मांग की। उन्हें राम मंदिर आंदोलन के वास्तुकारों में से एक माना जाता है, जिसने 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का नेतृत्व किया था।

बाल ठाकरे :शिवसेना सुप्रीमो ठाकरे हालांकि बाबरी मस्जिद के विध्वंस के स्थल पर कभी मौजूद नहीं रहे, लेकिन माना जाता है कि वह ढांचे को गिराने की साजिश का हिस्सा रहे थे। 1992 में मस्जिद के विध्वंस के बाद, ठाकरे ने दावा किया था कि उनके संगठन ने मस्जिद को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

वहीं उस पूरे प्रकरण में दो राजनीतिक चेहरे जिनका नाम जब भी बाबरी मस्जिद-राम मंदिर की बात होगी उसमे प्रमुखता से लिया जायेगा वे हैं बीजेपी के कल्याण सिंह और पूर्व पीएम कांग्रेस नेता स्वर्गीय पीवी नरसिंहा राव 

कल्याण सिंह : दरअसलजब बाबरी मस्जिद के ढांचे को हजारों कारसेवकों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था, उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह थे। मस्जिद के विध्वंस के बाद हालांकि उन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने में विफल रहने के बाद छह दिसंबर की शाम को पद से इस्तीफा दे दिया था। सिंह ने छह दिसंबर की रैली से पहले सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया था कि वह और उनकी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि मस्जिद को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।

पीवी नरसिंहा राव : वहीं केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी और पीवी नरसिंहा राव प्रधानमंत्री थे। कहा जाता है कि केन्द्र सरकार चाहती तो बाबरी विध्वंस नहीं होता। लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से अयोध्या में लाखों की संख्या में कार सेवको के जुटान होता देखकर भी कोई माकूल कदम नहीं उठाया गया था। 

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