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एनटीपीसी प्रबंधन और किसानों के बीच बढ़ी रार, चले लाठी डंडे और जमकर हुई रोड़ेबाजी

एनटीपीसी प्रबंधन और किसानों के बीच बढ़ी रार, चले लाठी डंडे और जमकर हुई रोड़ेबाजी

BEGUSARAI : नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) बरौनी के कोयला अपशिष्ट भंडारण यार्ड निर्माण का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. इसी कड़ी में आज पुलिस और किसानों के बीच जमकर लाठी-डंडे और रोड़ेबाजी शुरू हो गया. इस रोड़ेबाजी में आधा दर्जन किसान सहित कई पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप घायल हो गए. वही समाचार संकलन करने गए एक मीडिया कर्मी भी बुरी तरह से जख्मी हो गया. बताते चलें कि प्रोजेक्ट मैनेजर पांडा एवं संवेदक खेतों में काम करने के लिए पुलिसकर्मी के साथ पहुंचे तो जानकारी मिलते ही रामदीरी, मरांची, चकबल्ली, जगतपुरा के सैकड़ों किसान मौके पर पहुंच गए और खेत में ही धरना देकर काम रोक दिया. किसानों के द्वारा घटनास्थल पर धरना शुरू कर दिया. 

उसी दौरान पुलिसकर्मी जबरन किसानों को वहां से हटाने लगे. इसी बीच दोनों तरफ से लाठी डंडा और रोड़बाजी शुरू हो गया. एनटीपीसी की ओर से उस जगह की घेराबंदी शुरू कर दी गयी. इसके बाद वहाँ सैकड़ों की संख्या में किसान पहुंच गए. देखते ही देखते ही पुलिसकर्मियों ने किसानों पर हमला कर दिया. किसानों ने इसका विरोध किया. उन्होंने ने भी पुलिसकर्मियों पर रोड़ेबाजी शुरू कर दी. देखते ही देखते इलाका रणभूमि में तब्दील हो गया. इस हमले में आधा दर्जन से अधिक किसान सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह को भी इस मामले की सूचना दी गई. गिरिराज सिंह की पहल पर एनटीपीसी बरौनी एवं किसानों के बीच बढ़ा टकराव टल गया. इसके बाद काम रोक दिया गया है.  

अब जिला प्रशासन, एनटीपीसी एवं किसानों के प्रतिनिधि आपस में बैठकर समस्या का शीघ्र हल निकालेंगे. किसानों का कहना है कि बंजर होती जा रही जमीन पर कोयला अपशिष्ट भंडारण यार्ड का निर्माण कराने के बदले एनटीपीसी प्रबंधन एवं प्रशासन ने जबरदस्ती उपजाऊ जमीन पर कब्जा कर लिया है. हम लोग किसी हालत में इस उपजाऊ जमीन पर अपशिष्ट यार्ड नहीं बनने देंगे, जान भले चली जाए, लेकिन जमीन नहीं देंगे. किसान इस जमीन के बदले मल्हीपुर मौजा में थर्मल के कचरा के कारण बंजर होती जा रही जमीन के अलावे आसपास की जमीन भी स्वेच्छा से देने को तैयार हैं. लेकिन प्रबंधन कम उपजाऊ जमीन लेने के बदले पांच किलोमीटर दूर घनी आबादी के बीच स्थित उपजाऊ जमीन पर कोयला अपशिष्ट कचरा का भंडारण करना चाहती है. इससे आसपास की एक हजार एकड़ से भी अधिक उपजाऊ जमीन बंजर हो जाएगी. 

अपशिष्ट से निकलने वाले रसायन के कारण आसपास के 50 गांव में पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. लगातार आंदोलन के बावजूद सरकार और प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. गरीब किसान बेहाल हैं, किसान रो रहे हैं, गिड़गिड़ा रहे हैं. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है, उपजाऊ जमीन को बंजर बनाने की साजिश रची गई है. किसानों का कहना है कि विगत दिनों मरांची थाना में पुलिस अधिकारी, अंचल अधिकारी एवं एनटीपीसी के अधिकारियों की बैठक हुई थी. लेकिन एक बार फिर लॉकडाउन में यहां काम शुरू किया जा रहा है. हम लोग किसी भी हालत में यह नहीं होने देंगे. अभी भी सैकड़ों किसान उस जगह डटे हुए हैं और मौके पर कई थाने के पुलिस भी मौजूद है. हालात तनावपूर्ण बनी हुई है. 

बेगूसराय से कृष्णा की रिपोर्ट 

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