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मंत्री जी ने मारी पलटी ! मंत्रियों का 'अस्तित्व' नहीं...यह कहकर CM को चुनौती देने वाले 'रामसूरत राय' के बदले बोल,कहा- सब ठीक है,खराब कब हुआ था?

मंत्री जी ने मारी पलटी ! मंत्रियों का 'अस्तित्व' नहीं...यह कहकर CM को चुनौती देने वाले 'रामसूरत राय' के बदले बोल,कहा- सब ठीक है,खराब कब हुआ था?

पटनाः हफ्ते भर बाद मंत्री रामसूरत राय ने पलटी मार दी है। तबादला आदेश रद्द किये जाने से गुस्साये राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने यह कहकर राजनीतिक विवाद बढ़ा दिया था कि जहां मंत्रियों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं वहां मंत्री रहने से क्या फायदा। साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान किया कि अब वे कोई जनता दरबार नहीं लगायेंगे और जनता समस्या नहीं सुनेंगे। बीजेपी कोटे के मंत्री ने यहां तक कह दिया था कि वे मंत्री पद के लालायित नहीं. रामसूरत राय का सीधा हमला सीएम नीतीश के खिलाफ था। लेकिन अब वे बैकफुट पर आ गये हैं। रामसूरत राय ने आज भाजपा दफ्तर में कहा कि वे न तो सरकार से नाराज हैं और न पार्टी से।

मंत्री के बदले बोल

बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय अब पुरानी बातें भूलने की कोशिश में जुटे हैं। तभी तो कुछ दिन पहले यह कहकर एनडीए के बीतर विवाद बढ़ा दिया था कि मंत्रियों का कोई अस्तित्व नहीं है। अब वही रामसूरत राय कह रहे कि सब कुछ ठीक है,मीडिया वाले चिंता मत करें. नीतीश कैबिनेट में मंत्रियों का स्वतंत्र अस्तिव नहीं, यह बात कहने वाले रामसूरत राय ने आज कहा कि सब ठीक है, खराब कब हुआ था? मीडिया वाले हमलोगों से बुलवाना चाहते हैं। राजस्व मंत्री ने कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग की कोई बात नहीं है। हम लोग एक जगह पर हैं,कहीं कोई विवाद या असंतोष नहीं है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अब न सरकार से नाराज हैं और न पार्टी से। 

जानें पूरा मामला

बता दें, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने 30 जून को 149 अंचलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों का स्थानांतरण किया था। तबादले में गड़बड़ी की शिकायत के बाद सीएम नीतीश के आदेश पर 8 जुलाई को स्थानांतरण आदेश रद्द किये जाने की चिट्ठी जारी की गई । तबादला आदेश रद्द किये जाने से बिफरे मंत्री रामसूरत राय ने 9 जुलाई को ऐलान किया था कि कि मंत्री रहने से कोई फायदा नहीं। जहां पर मंत्री का कोई स्वतंत्र अस्तित्व ही नहीं,वहां विभाग चलाने से कोई फायदा नहीं। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि विधायकों की सिफारिश के आधार पर स्थानांतरण किया गया। अगर विधायकों की सिफारिश मानना गलत था तो तबादला गलत था, अगर सही था तो फिर तबादला आदेश गलत कैसे?


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