PATNA : जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बैठक में आज आरसीपी सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इसका प्रस्ताव बैठक में लाये और सर्वसम्मति से उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया. आइये जानते है की आरसीपी सिंह कौन है? हम यह भी बताते हैं की उन्होंने यहाँ तक की यात्रा कैसे पूरी की है. यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे आरसीपी सिंह पहली बार नीतीश कुमार के संपर्क में तब आए. जब वो 1996 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव के रूप में तैनात थे. नीतीश जब केंद्रीय मंत्री बने तो आरसीपी सिंह को अपने साथ ले आए. राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को जेडीयू का नया अध्यक्ष चुना गया है. पार्टी की पटना में चल रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ये फैसला लिया गया. खुद बिहार के सीएम और अब तक पार्टी के अध्यक्ष रहे नीतीश कुमार ने इनके नाम का प्रस्ताव राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रखा. जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. आरसीपी सिंह, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के अच्छे दोस्त ही नहीं हैं .बल्कि, उनके बड़े सियासी सलाहकार भी हैं.
यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें जेडीयू अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. नीतीश कुमार के अध्यक्ष रहने के दौरान आरसीपी सिंह यानी रामचंद्र प्रसाद सिंह नंबर दो की हैसियत रखते थे. हालांकि, वो ज्यादा सुर्खियों में रहना पसंद नहीं करते. बिहार चुनाव के दौरान पार्टी की रणनीति तय करना, प्रदेश की अफसरशाही को कंट्रोल करना, सरकार की नीतियां बनाना और उनको लागू करने जैसे सभी कामों का जिम्मा उनके कंधों पर रहा. जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. यही वजह है कि उन्हें 'जेडीयू का चाणक्य' भी कहा जाता है. यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे आरसीपी सिंह पहली बार नीतीश के संपर्क में तब आए जब वो 1996 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव के रूप में तैनात थे. नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच दोस्ती इसलिए भी गहरी हुई क्योंकि दोनों ही बिहार के नालंदा से हैं और एक ही जाति आते हैं.
कहा ये भी जाता है कि नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के नौकरशाह के तौर पर उनकी भूमिका से काफी प्रभावित थे. नीतीश कुमार जब केंद्र मंत्री बने तो आरसीपी सिंह को अपने साथ ले आए. नीतीश कुमार रेलमंत्री बने थे तो आरसीपी सिंह को विशेष सचिव बनाया. नवंबर 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी सिंह को साथ लेकर बिहार भी आए और प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद आरसीपी की जेडीयू में पकड़ मजबूत होने लगी. 2010 में आरसीपी सिंह ने वीआरएस लिया, फिर जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा के नामित किया. 2016 में पार्टी ने उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं.
पटना में JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी उन्होंने ऐसा ही फैसला लिया. उनके गृह जिले नालंदा से आने वाले और नीतीश के बेहद करीबी रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ RCP अब JDU के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे. सवाल ये कि नीतीश 2022 तक राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रह सकते थे. फिर बीच में ही उन्होंने ऐसा फैसला क्यों लिया. सूत्रों के मुताबिक फैसले तो अब भी नीतीश ही लेंगे. लेकिन सिर्फ मुहर RCP सिंह के नाम की होगी. माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा में सीटों के मामले में BJP के बड़े भाई की भूमिका में आने से नीतीश असहज थे. लेकिन वो जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. ऐसे में अगर वो कोई कड़ा फैसला लेते तो उनपर बतौर मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के चलते गठबंधन धर्म की मर्यादा का सवाल उठ सकता था. इसीलिए नीतीश ने ये मास्टर स्ट्रोक खेल दिया.
पटना से कुमार गौतम की रिपोर्ट