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27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट हुए इस शिक्षक की वजह से मनाते हैं टीचर्स डे

27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट हुए इस शिक्षक की वजह से मनाते हैं टीचर्स डे

न्यूज़ 4  नेशन डेस्क : गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:। गुरु: साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नम:.....  संस्कृत का यह गुरु श्लोक आज भी लगभग हर कोई को याद होगा. यदि यह श्लोक आज भी कही सुनाई दे जाता है तो गुरु को सम्मान में एक बार सिर झुक जाता है.... और दिल से "गुरुवे नाम:" निकलता है. 

बचपन में हम सब को यह पढ़ाया जाता था कि गुरु का महत्व विद्यार्थी जीवन में भगवान से भी बढकर है क्योंकि गुरु ही हैं जिन्होंने हमें भगवान के बारे में बताया है और हमें जीवन के पथ पर सही राह पर चलना सिखाया है. आज वहीँ गुरु की देन और शिक्षा है कि हम भगवान की बनाई इस दुनिया में सभ्य तरीके से जी रहे हैं. 

आज 5 सितम्बर है और इस दिन पूरे भारत में टीचर्स डे मनाया जाता है. लोग  अपने टीचर्स को सोशल मीडिया, लेटर्स और ग्रीटिंग के जरिए बधाई दे रहे हैं. पर आज भी बहुत लोग के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि 5 सितंबर को ही टीचर्स डे क्यों मनाया जाता है.????

5 सितंबर को टीचर्स डे मनाने की यह है वजह

शिक्षक दिवस की शुरुआत 5 सितंबर 1962 में डॉ. राधाकृष्णन के सम्मान में की गई थी. इस दिन देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था. वह 20वीं सदी में भारत के सबसे प्रभावशाली विद्वानों में से एक थें. उन्होंने शिक्षक के रूप में कई सेवाएं दी. मैसूर, कोलकाता में फिलोसपी के प्रोफेसर ऑक्सफोर्ड में ईस्टर्न रिलीजन और नैतिकता के प्रोफ़ेसर बन अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने आंध्र यूनिवर्सिटी, बीएचयू और दिल्ली यूनिवर्सिटी में कुलपति के रूप में अपनी सेवाएं दी. उन्हें 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था. जिसमें वह 16 बार लिटरेचर और 11 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट हुए थे. शिक्षा के क्षेत्र में उनके इन्ही योगदान के खातिर उनके जन्मदिन को हम सभी भारतीय शिक्षक दिवस के रूप में मानते हैं. 1954 में उन्हें भारत रत्न के सर्वोच्च सम्मान से भी सम्मानित किया गया था. 



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