NEW DELHI : लगभग आठ साल की नौकरी के बाद एक दिन अचानक कोलकात्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद एक झटके में अपनी नौकरी गंवानेवाले 25 हजार से ज्यादा सरकारी शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला लिया है।
हालांकि दो जजों की पीठ ने अपने फैसले के साथ यह भी साफ कर दिया है कि इस मामले में सीबीआई को अपनी जांच जारी रखने और राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों की भी जांच करने की अनुमति दी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने सीबीआई से कहा कि वह जांच के दौरान किसी संदिग्ध को गिरफ्तार करने जैसी कोई जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करे।
शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के 22 अप्रैल के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य कर दिया था।
SC ने घोटाले को बताया 'प्रणालीगत धोखाधड़ी'
इससे पहले दिन में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कथित घोटाले को 'प्रणालीगत धोखाधड़ी' करार दिया और कहा कि राज्य अधिकारी शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति से संबंधित डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए कर्तव्यबद्ध थे।
अब फिर से वापस मिल जाएगी नौकरी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब 25,753 सरकारी शिक्षकों की फिर से नौकरी बहाल हो जाएगी। साथ ही उन्हें आठ साल की नौकरी में लिए गए वेतन की राशि भी लौटाने की जरुरत नहीं होगी।
बता दें कि राज्य के स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा 2016 में इन शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। जिसमें नियुक्ति के दौरान भारी गड़बड़ी की बात सामने आई थी। जिसको लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर हाईकोर्ट ने पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को ही रद्द करने का फैसला दिया था। साथ ही सभी नियुक्त शिक्षकों को पूरा वेतन वापस लौटाने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के कारण बंगाल के 25,753 सरकारी शिक्षक एक साथ बेरोजगार हो गए थे।