रिसर्च में दावा, अधिक तनाव लेने वाली महिलाएं देती है लड़की को जन्म

Desk... जैसे-जैसे विकाश हो रहा है वैसे वैसे लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा हैतनाव (Stress) का शरीर पर पड़ने वाले बहुत से प्रभावों का अध्ययन हो चुका है. लेकिन क्या तनाव कि इंसान के लिंग निर्धारण (Gender determination) में भी किसी तरह की कोई भूमिका हो सकती है. लेकिन स्पेन (Spain) में हुए एक अध्ययन इसी ओर इशारा कर रहा है. इसके मुताबिक गर्भ धारण (Conception) से पहले और उसके दौरान तनाव रहने वाली महिलाओं में इस बात की दोगुनी संभावना रहती है कि वे लड़के के बजाए लड़की को जन्म दें.
ग्रांडा यूनिवर्सिटी (UGR) के वैज्ञानिकों के इस अध्ययन के नतीजे इस बात की पुष्टि करते हैं कि गर्भ में मौजूद भ्रूण माता को हुए तनाव के प्रति संवेदनशील होते हैं यानि उन पर माता के तनाव का ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ता है. और उनके विकास में इनकी अहम भूमिका होती है. शोध में माना गया है कि तनाव का सबसे ज्यादा प्रभाव गर्भाधान के समय होता है. क्लीनिकल एंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में 108 महिलाओं को शामिल किया. उन पर गर्भाधान के बाद के पहले कुछ हफ्तों से प्रसव के समय तक निगरानी रखी गई. अपने अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने इन महिलाओं के गर्भाधान के पहले से बाद तक तनावों के स्तरों को रिकॉर्ड किया. इसके लिए उन्होंने कई मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के साथ ही उन्होंने उनके बालों में कोर्टिसोल की मात्रा की जांच की. हर मापन में पिछले तीन महीनों के कोर्टिसोल स्तरों को शामिल किया गया जिसमें हर महीने बालों की एक सेंटीमीटर की वृद्धि की दर से गणना की गई.
पहली जांच में महिलाओं के तनावों का स्तर गर्भाधान और उसके पहले के समय दर्शाने वाला था. इसके बाद वैज्ञानिकों ने भ्रूण की स्थिति का अवलोकन कर उसके विभिन्न मानों की गणना की. रैमीरेज बताती हैं, “इस अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले रहे क्योंकि उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं ने लड़की को जन्म दिया उनमें बालों को कार्टिसोल की मात्रा गर्भाधान के पहले दौरान और उसके बाद ज्यादा थी. वहीं लड़कों को पैदा करने वाली महिलाओं में ऐसा तलुनात्मक रूप कम था. शोध में आश्चर्यजनक रूप से पाया गया कि बालो में कोर्टिसॉल की मात्रा उन महिलाओं में दो गुनी ज्यादा थी जिन्होंने लड़की को जन्म दिया. विज्ञान और रिसर्च तो ये बता रहा आगे की शोध इस चीज़ को और क्लियर करेगी.