News4nation desk : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता रिटायर हो गए हैं। रिटायर होने के बाद उन्होंने देश की न्याय प्रणाली पर गई गंभीर आरोप लगाए है।
जस्टीस दीपक गुप्ता के रिटायरमेंट को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फेयरवेल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा यह सवाल हर किसी को सोचने पर मजबूर करता है कि कोई अमीर सलाखों के पीछे होता है तो कानून अपना काम तेजी से करता है, लेकिन गरीबों के मुकदमों में देरी होती है।
न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने कहा यदि कोई व्यक्ति अमीर और शक्तिशाली है तो वह सलाखों के पीछे रहते हुए बार-बार उच्चतम न्यायालयों में अपील करेगा, जब तक की कोर्ट उस मामले का ट्रायल तेजी से कराने का आदेश नहीं दे देता।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय और दौर में न्यायाधीश इससे अनजान होकर नहीं रह सकते कि उन्हें पता ही नहीं कि उसके आसपास क्या हो रहा है।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा कि जब कोई न्यायाधीश रिटायर होने के बाद सरकारी कार्यभार संभालते हैं तो मेरे विचार में जनता उसे बहुत खुशी से स्वीकार नहीं करती है। उन्होंने कहा कि जब न्यायाधीश अपनी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सरकारी कार्यभार संभालते हैं तो उन्हें कुछ संदेह होता है।
उन्होंने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के पक्ष में नहीं हूं जो राजनीतिक पदों पर बैठ रहे हैं। मेरा मानना है कि न्यायाधीशों को ऐसे पदों को स्वीकार नहीं करना चाहिए। मैं इसके पक्ष में नहीं हूं और अगर मुझे इस तरह का कोई मौका दिया जाता है तो मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा।
इस दौरान उन्होंने दिवंगत केन्द्रीय मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रहे अरुण जेटली का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे दिवंगत मित्र अरुण जेटली कहा करते थे कि न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ जानी चाहिएष लेकिन उनके लिए रिटायरमेंट के बाद नौकरी नहीं करनी चाहिए, खासकर सरकार में।
जस्टिस गुप्ता ने कहा कि यह मेरा निजी विचार है कि न्यायाधीशों के लिए किसी भी समय के बाद सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद नहीं होना चाहिए।