BEGUSARAI : एक तरफ जहाँ हाल के दिनों में चमकी बुखार और हीट स्ट्रोक से भारी संख्या में हुई मौत की वजह से सरकार की पूरी किरकिरी हुई. वहीं स्वास्थ्य विभाग को इसकी कितनी फ़िक्र बेगूसराय में इसे साफ़ तौर पर देखा जा सकता है. दरअसल बिहार सरकार की ओर से सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल और स्वास्थ्य उप केंद्रों में विभिन्न रोगों से संबंधित दवाइयां उपलब्ध कराई जाती थी.
लेकिन बीरपुर प्रखंड के भवानंदपुर स्वास्थ्य उपकेंद्र के कर्मचारियों ने रोगियों को दवा ना देकर कागजी खानापूर्ति करने के लिए सारी दवाइयों को खेत में फेंक दिया. जब स्थानीय लोगों की नजर खेत में फेंके गए दवा पर पड़ी तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन को इसकी जानकारी दी. इसके बाद अस्पताल से आकर एक एएनएम दवा उठाने आई. हालाँकि लोगों ने उसे दवा उठाने से मना कर दिया. मामला जब उच्च अधिकारियों के पास गया तो इसकी जांच शुरू कर दी गयी.
पदाधिकारियों की माने तो सरकारी अस्पतालों में एक्सपायर की गई दवाओं को लाल कपड़े में लपेटकर वापस सदर अस्पताल में जमा करने का प्रावधान है. लेकिन बेगूसराय में जो दवा फेंकी गयी है वह एक्सपायर भी नहीं है. उनकी वैद्यता 2021 और 2022 तक है.
बताते चलें की जिन दवाओं की अवधि बची हुई है उन्हें तब तक अस्पताल में रखना है जब तक उनकी वैधता खत्म ना हो जाए. पदाधिकारियों ने भले ही जांच का की बात कही है. जांच के बाद दोषी लोगों पर कार्रवाई की बात भी की है. लेकिन लोग इस मामले में सरकारी सिस्टम पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं.
बेगूसराय से धनंजय झा की रिपोर्ट