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ओयो के मालिक रितेश अग्रवाल चीन में अव्वल, सबसे कठिन 'मंदारिन' भाषा सीखकर सबको चौका दिया

ओयो के मालिक रितेश अग्रवाल चीन में अव्वल, सबसे कठिन 'मंदारिन' भाषा सीखकर सबको चौका दिया

Desk : दुनियाभर में भारतीयों ने अपनी पहचान बनाई है. बिजनेस की बात करें तो मित्तल, अम्बानी जैसे कई बड़े कारोबारियों ने पूरी दुनिया में अपना व्यापर किया है. आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे रहें है जिसने सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि विदेशों के कमरे को भी अपने कब्जे में कर लिया है. हम बात कर रहे है ओयो होटल्स के संस्थापक रितेश अग्रवाल की. अपने दम पर अरबपति बनने वाले दुनिया के दूसरे सबसे युवा रितेश अग्रवाल चीन में ‘ली ताई शी’ के नाम से जाने जाते हैं। चीन में ओयो को सबसे बड़ी होटल कंपनी के रूप में स्थापित करने वाले 26 साल के रितेश अग्रवाल ने इसके लिए दुनिया की सबसे कठिन समझी जाने वाली चीनी भाषा ‘मंदारिन’ कुछ ही महीनों में सीख ली थी।अब वे न केवल अपने पार्टनर और कर्मचारी, बल्कि ग्राहकाें के साथ भी चीनी भाषा में ही बात करते हैं। चीन में ओयो के 337 शहरों में 5 लाख से ज्यादा रूम्स हैं और 2 हजार 317 करोड़ रुपए का टर्नओवर है जो उनके कुल राजस्व का 32.3% है।

मीडिया से बातचीत के दौरान रितेश ने कहा कि चीन में ओयो को स्थापित करने के लिए हमने पहले से ही कोई धारणा या रणनीति नहीं बनाई थी। हमारे दिमाग में तस्वीर बिल्कुल साफ थी। हम चीन के बाजार में वैश्विक स्टार्ट-अप सेटिंग शॉप की तरह नहीं उतरे, बल्कि चीनी खिलाड़ियों की तरह रहने के लिए सिर्फ गुणवत्ता वाले स्थानों को ही चुना।नियुक्ति को लेकर भी हमने कोई बाध्यता नहीं रखी। अमूमन विदेशी कंपनियां दो से ज्यादा भाषाओं की जानकारी रखने वालों को ही तवज्जो देती हैं, जबकि हमने ऐसा नहीं किया। अगर हम भी दो भाषाओं की जानकारी रखने वालों को तरजीह देते, तो कई प्रतिभाएं खो देते।शायद यही वजह है कि हमने 2017 में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा रखने वाले चीन में सबसे बड़ी होटल चेन के रूप में स्थापित किया। 

 कोरोना महामारी के कारण ओयो को भी अपने होटल्स बंद करने पड़े। कंपनी के कई कर्मचारी महामारी से प्रभावित हुए थे, लेकिन अब कंपनी के करीब 70% होटल खुल गए हैं और एक-डेढ़ महीने में बाकी भी शुरू हो जाएंगे।महामारी के कारण विश्व स्तर पर ओयो की कमाई भी 50-60% तक गिर गई। चीन समेत दुनियाभर में बड़ी संख्या में कर्मचारियों को हटाना पड़ा था, लेकिन अब वे फिर से नई उम्मीदों को जिंदा करने की कवायद में जुट गए हैं।

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