NEWS4NATION DESK : बिहार के सीतामढ़ी जिले के सोनबरसा प्रखंड के सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया रितू जायसवाल को भला कौन नहीं जानता. आईएएसअरुण कुमार की पत्नी रितू जायसवाल जब शादी के बाद ससुराल आई तो वहां का पिछड़ापन देख काफी परेशान हो गईं. गांव में न बिजली थी और न ही सड़क. रितू से यह पिछड़ापन देखा न गया और उन्होंने गांव की हालत बदलने की ठान ली. 2016 में उन्होंने सिंहवाहिनी पंचायत से मुखिया पद के लिए मैं चुनाव लड़ा. उनके तब खिलाफ 32 उम्मीदवार चुनाव में खड़े थे. लोगों ने कहा कि वह चुनाव हार जाएगी. यहाँ वोट जाति के आधार पर मिलता है. वह नहीं मानी और चुनाव जीत गई. मुखिया बनने के बाद रितू ने गांव में विकास के कई काम कराए, जिसके चलते गांव के लोग उन्हें बेटी जैसा प्यार देने लगे.
रितू जायसवाल के सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया चुने जाने के बाद पंचायत में कई काम हुए. सिंहवाहिनी पंचायत देश का पहला पंचायत बन गया, जो खुले में शौच मुक्त है. रितू के प्रयासों से सिंहवाहिनी पंचायत ने 2016 में ही यह उपलब्धि हासिल कर ली थी. पंचायत में कुल सात टोले हैं, जिनमें पीसीसी सड़क का निर्माण किया गया है. हर घर में चापाकल, नल और बिजली पहुच गयी है. इन उपलब्धियों के लिए रितू जायसवाल को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है. उन्हें उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू की ओर से चैम्पियंस ऑफ़ चेंज अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें उच्च शिक्षित आदर्श युवा मुखिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
अब रितू जायसवाल के प्रयासों ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धी हासिल है. इस पंचायत को भारत सरकार के पंचायती राज विभाग ने दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार के लिए चयन किया है. इस पुरस्कार के लिए बिहार की दूसरी पंचायतों का भी चयन किया गया है. इसमें जहानाबाद जिले के मखदूमपुर प्रखंड का धरनई और नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड के दामोदरपुर पंचायत भी शामिल है. इस पुरस्कार के लिए पंचायत में चलाये जा रहे कार्यों को आधार बनाया गया है.