SITAMARHI : नेपाल से आने वाली हरदी नदी ने अचानक अपनी धारा बदल ली है। ये सब इसलिए क्योंकि हम प्रकृति को छेड़ते हैं। बालू के अवैध खनन का नतीजा अब ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। मेरे विधान सभा क्षेत्र परिहार के गाँव लहुरिया, बारा, खुरसाहा, बाया इत्यादि गाँवों में भीषण क्षति हुई है। कई गरीबों के घर उजड़ गए, फसल खत्म हो गई पर अफसोस की सरकार की ओर से एक तिरपाल तक नहीं उपलब्ध कराया गया है। ये बातें राजद नेत्री रितु जायसवाल ने कहा।
उन्होंने कहा की हमनें एक-एक प्रभावित गाँव का पैदल दौरा किया। समस्या हद से ज्यादा गंभीर है। स्थानीय विधायक और प्रभारी मंत्री आये और एक कटाव स्थल से लौट गए, गाँव वालों की तकलीफ को नजदीक से समझना भी ज़रूरी नहीं समझा। सीतामढ़ी के सांसद ने तो आना भी ज़रूरी नहीं समझा। बागमती परियोजना के तहत नदी को वापस अपनी धारा में लौटाने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यस्थल का भी निरीक्षण हमनें किया। यह सुनिश्चित करना होगा कि कार्य गुणवत्तापूर्ण हो अन्यथा कई गाँव और खेत सदा के लिए तबाह हो जाएंगे।
उन्होंने कहा की स्थानीय भाजपा विधायक का ये तीसरा कार्यकाल है, सांसद भी जदयू के हैं, राज्य की भाजपा सरकार का चौथा कार्यकाल है, केंद्र की भाजपा सरकार का भी दूसरा कार्यकाल है। लेकिन आज भी क्षेत्र के कई गाँवों की मुख्य सड़कें बाँस के चचरी पुल पर निर्भर है। ये बाँस के पुल भी 'आत्मनिर्भर' गाँव वाले खुद ही बनाते हैं। विकास नहीं करने का अब और क्या बहाना चाहिए?
उन्होंने कहा की सुनने में आ रहा है कि परिहार को बाढ़ प्रभावित प्रखण्ड की सूची में नहीं रखा गया है। यदि ऐसी तबाही को बाढ़ प्रभावित नहीं कहा जायेगा तो फ़िर बाढ़ प्रभावित की परिभाषा सरकार की नज़र में क्या है? मैं सरकार से माँग करती हूँ कि परिहार प्रखण्ड को भी बाढ़ प्रभावित की सूची में शामिल किया जाए एवं पीड़ितों को सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाए।