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बिहार विधानसभा चुनाव 2020: 15 साल के भय बनाम 15 साल के भरोसे का है और लोगों ने जिसे परखा है उसे ही चुनना चाहिए

बिहार विधानसभा चुनाव 2020: 15 साल के भय बनाम 15 साल के भरोसे का है और लोगों ने जिसे परखा है उसे ही चुनना चाहिए

पटना... कल बिहार में प्रथम चरण के चुनाव होने हैं और प्रथम चरण के लिए चुनाव प्रचार थम चुका है। भारत के संविधान ने 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार दिया है। इस बार बिहार विधानसभा का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है और हर मतदाता को तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद ही अपना वोट देना चाहिए।

इस तुलना के कुछ बिंदु संक्षेप में आपके सामने रख रहा हूं।

एक तरफ भाजपा जदयू हम और वीआईपी का प्राकृतिक गठबंधन है और दूसरी तरफ राजद कांग्रेस और वामपंथी दलों का नापाक गठबंधन।

मैं नापाक इसलिए कह रहा हूं क्योंकि लोग आज भी कहते हैं

जंगलराज याद है, राजद नहीं फसाद है।

नरसंहार की याद है, माले नहीं फसाद है। 

एनडीए के नेता अनुभवी संघर्षशील इंजीनियर नीतीश कुमार जी और दूसरी तरफ महागठबंधन का नेतृत्व अनुभवहीन, परिवारवाद के प्रतीक और शैक्षणिक योग्यता के दृष्टिकोण से कमजोर तेजस्वी यादव जी है। नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में एक तरफ कानून का राज है और दूसरी तरफ कैदी राज है। मैं कैदी राज इसलिए कह रहा हूं क्योंकि राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय लालू प्रसाद यादव जी होटवार में है और इनके अधिकतर सिपा सलाहकार मोहम्मद शहाबुद्दीन अनंत सिंह राजबल्लभ यादव अरुण यादव आनंद मोहन रीत लाल यादव जैसे लोग हैं जिन पर कई आपराधिक मुकदमे साबित हो चुके हैं।

एनडीए के शासनकाल में गांव शहर हर जगह का वातावरण शांतिपूर्ण सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक रहा। कानून के राज की बदौलत माहौल सुधरा। महागठबंधन रूपी इस नापाक गठबंधन में वामपंथी दल भी हैं, जिन्होंने सदैव गांव का माहौल बिगड़ा ही है। पहले चरण में 16 जिलों में चुनाव हो रहे हैं लेकिन बिहार की जनता कभी नहीं भूल सकती है कि पहले गांव का वातावरण कैसा था सामूहिक नरसंहार बिल्कुल आम थे अगर मैं नाम गिनाने शुरू करूं तो समय लग जाएगा। लोग गांव तक से पलायन को मजबूर थे।

राजद महिला सशक्तिकरण का मतलब था लालू जी के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी जी का रबड़ स्टांप की तरह मुख्यमंत्री बन जाना। राजद के लिए महिला सशक्तिकरण के ब्रांड एंबेसडर रहे हैं तेजस्वी यादव के पूजनीय मामा साधू यादव राजबल्लभ यादव अरुण यादव और न जाने कितने लोग, जिन लोगों पर इतने संगीन आरोप लगे हैं और बहुत मामलों में सिद्ध भी हुए हैं।

राजद की सरकार में महिलाएं और बेटियां घर से बाहर निकलने में डरती थी लेकिन नीतीश कुमार जी के राज में बेटियों ने पर्दा प्रथा को तोड़कर घर से बाहर निकलना शुरु कर दिया। नीतीश कुमार जी ने सरकारी नौकरी में 35 प्रतिशत आरक्षण पंचायत के चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण। बेटियों को पढ़ने के लिए इतनी सुविधाएं देना, सायकल योजना, पोशाक योजना, छात्रवृत्ति योजना से लाभ लेकर आज बिहार के हर थाने में आपको बिहार की बेटियां दिखाई पड़ेगी।

राजद 1990 से लेकर 2005 तक के अपने चुनावी अभिभाषण में इस बात पर जोर देता रहा कि 1500 से ज्यादा आबादी वाले गांव में जल निकासी स्वच्छ पेयजल और सड़कों का इंतजाम करेंगे। इसके बदले किया क्या। यह सब लोग जानते हैं नीतीश कुमार ने अपने 7 निश्चय में इन कार्यों को पूरा किया है।

एक तरफ नीतीश कुमार ने आधारभूत संरचनाओं का निर्माण करवाया और दूसरी तरफ बिहार में सर के ही नहीं और उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी दी थी कि बिहार में सड़क या नहीं आखिर सड़कें बनती भी क्यूंकि लेवी वसूली जाती थी और इस बार के चुनाव में राजद में ऐसी ही उग्रवादी और वामपंथी विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन कर लिया है।

एक तरफ नीतीश कुमार ने बिहार जैसे पिछड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री होकर भी साहस दिखाया और महात्मा गांधी, जननायक कर्पूरी, कृष्ण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की विचारधारा के अनुरूप बिहार में शराबबंदी लागू किया जिससे बिहार का माहौल सुधरा और घरेलू हिंसा के मामलों में इतनी कमी आई।

दूसरी तरफ शराबबंदी को खत्म करने वाले यह लोग अपनी महिला विरोधी मानसिकता को उजागर करते हैं। बिहार की जनता इनसे पूछना चाहती है कि यह लोग बताएं कि शराब उपलब्ध होने के क्या फायदे हैं?

राजस्व के लिए क्या नई पीढ़ी को नशे की दलदल में धकेल देना चाहिए ताकि वह अपराध करने में भी नहीं हिचकिचाए?

पहले बिहार में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए दिन में सफर करना पड़ता था। मीडिया के लोग इस बात की गवाह है लेकिन अब बिहार में ऐसी सड़कें हैं कि लोग कहीं जाने के लिए सुबह निकलते हैं और आप वापस चले आते हैं।

पहले बिहार लालटेन युग में था और अब हर घर में हर गांव में बिजली उपलब्ध है 1989 में राजीव गांधी जी ने भी आर्थिक पैकेज दिया था बिजली के काम के लिए अगर आप सचमुच सक्षम थे तो फिर इसे लागू क्यों नहीं किया।

आप रोजगार को मुद्दा बनाते हैं और अपने आंकड़े नहीं देखते हैं झारखंड में भी महागठबंधन की सरकार है जिसके आप पार्ट है उस सरकार ने भी 6 महीने में सभी रिक्त पदों की बहाली के लिए वायदा किया था लेकिन 9 महीने बाद भी कुछ नहीं हो पाया है। राजनीति से सन्यास ले कर हिमालय पर चले जाएंगे?

नौकरी देने के नाम पर आपके परिवार का इतिहास बहुत काला रहा है पैसा उगाही जमीन लिखवाना इसके न जाने कितने मामले हैं। तेजस्वी यादव जी को बिहार के युवाओं को बताना चाहिए कि उन्होंने ऐसा कौन सा व्यवसाय किया है जिससे इतने कम समय में वे इतने धनी हो गए हैं।

एक तरफ दलितों के उत्थान के लिए मुख्यमंत्री जी ने अपने कार्य की दूसरी तरफ यह लोग जात पात की राजनीति कर समाज को बांटना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी समाज के हर तबके को लेकर चलते हैं और दूसरी तरफ राजद के राजकुमार रोहतास में अपनी चुनावी सभा में विवादित बयान देते हैं। सवालों के खिलाफ बोलते हैं। राजद वही पार्टी है जिसने सदन में भी गला फाड़-फाड़ कर सवर्ण आरक्षण का विरोध किया था। भूरा बाल साफ करो का नारा देने वाले लालू जी ही थे। इनके कुछ छुट भैया नेता सवर्णों के हितेषी बनने का ढोंग करते हैं।

पहले बिहार चरवाहा विद्यालय के दौर में थाना और अब हर जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज, 15 नए मेडिकल कॉलेज, 65 नए एएनएम कॉलेज, 28 परा मेडिकल कॉलेज, 30 पॉलीटिकल कॉलेज कई प्राइवेट और सरकारी सेंट्रल यूनिवर्सिटी खुली।

पहले छात्राओं के पास कोई सुविधा नहीं थी, लेकिन नीतीश कुमार जी ने छात्रवृत्ति स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के लाभ दिया जिससे 98721 छात्र लाभान्वित हुए और इस पर 143 करोड़ 57लाख खर्च किए गए।

इस नापाक गठबंधन रूपी बारात और ऐसे दागी सवालों के साथ तेजस्वी यादव जी की या बारात कहां तक जाएगी? राजद ने अपने घोषणा पत्र में कानून व्यवस्था की चर्चा नहीं की, शायद शर्म को भी थोड़ी शर्म आ गई होगी अपने कार्यकाल को याद करके।

अंत में मैं कहना चाहूंगा कि सच में यह तुलना 15 साल के भय बनाम 15 साल के भरोसे का है और लोगों ने जिसे पररखा है उसे ही चुनना चाहिए।



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