पटना. राजद सुप्रीमो लालू यादव को चारा घोटाले से जुड़े पांचवे मामले में भी अदालत ने पांच साल कैद की सजा सुनाई है. लालू की सजा का ऐलान होने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तंज कसा था कि लालू के साथ रहने वालों ने ही लालू पर केस किया था. नीतीश की इस टिप्पणी से बड़ा सवाल उठा कि आखिर वह कौन हैं जो लालू के साथ भी हैं उन्हें चारा घोटाले में जेल पहुंचाने वाले मुख्य सूत्रधार भी हैं.
दरअसल सीएम नीतीश कुमार का इशारा राजद नेता शिवानंद तिवारी की ओर था. वर्ष 1996 में जब लालू यादव के खिलाफ पहले पहल चारा घोटाला मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया तो उसमें जो पांच नेता शामिल थे उसमें एक अब लालू यादव के दल राजद के वरिष्ठ नेता हैं. वहीं शेष चार आज भी लालू से दूर हैं.
चारा घोटाले में लालू यादव पर केस करने वालों में सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद, सरयू राय, पीके शाही और शिवानंद तिवारी का नाम शामिल था. इसमें शिवानंद तिवारी बाद में नीतीश कुमार के साथ आए और फिर से लालू यादव के राजद में चले गए. मौजूदा दौर में शिवानंद तिवारी राजद के कद्दावर और वरिष्ठ नेता के तौर पर जाने जाते हैं. वे नीतीश कुमार नीत बिहार की एनडीए सरकार पर अक्सर कटाक्ष करते रहते हैं. लेकिन संयोग है कि कई मुद्दों पर लालू का बचाव करने वाले शिवानंद तिवारी उन मुख्य सूत्रधारों में शामिल हैं जिनकी शुरुआती पहल का परिणाम हुआ कि चारा घोटाले का मामला तूल पकड़ा और लालू यादव की राजनीतिक जमीन खिसक गई.
नीतीश कुमार ने इसी को मुद्दा बनाकर बिना नाम लिए शिवानंद तिवारी पर कटाक्ष किया था. उन्होंने कहा था कि हमने लालू पर केस थोड़े किया है. लालू के साथ वाले लोग ही उन पर मामला दर्ज कराए थे. उसमें सीएम नीतीश का इशारा शिवानंद तिवारी की ओर था. शिवानंद के अलावा सुशील कुमार मोदी और रविशंकर प्रसाद अब भाजपा के वरिष्ठ नेता हो चुके हैं. मोदी जहां वर्षों बिहार के उप मुख्यमंत्री रहे और फ़िलहाल राज्यसभा सदस्य हैं. वहीं रविशंकर प्रसाद केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. सरयू राय पिछले झारखंड चुनाव के पहले भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं तो पीके शाही भी नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं.