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RJD में हुई टूट की पल-पल की कहानी, ऑपरेशन को अंजाम दे रहे 'सिंह साहब' के तिलिस्म में कैसे फंस गया लालू का कुनबा,पढ़िए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

RJD में हुई टूट की पल-पल की कहानी, ऑपरेशन को अंजाम दे रहे 'सिंह साहब' के तिलिस्म में कैसे फंस गया लालू का कुनबा,पढ़िए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

PATNA: राजनीति का जोड़-तोड़ के खेल से पुराना रिश्ता रहा है। इस रिश्तेदारी ने आज बिहार की राजनीति में खूब रंग जमाया। लेकिन इस जोड़ और तोड़ के राजनीतिक खेल की खूबी यह रही की विपक्षी खेमे को शिकार होने का अहसास तक नहीं हुआ.शिकारी ने अपने मिशन को अँजाम दे दिया तब जाकर पता चला कि उसका तो सब कुछ लूट गया।पूरा का पूरा लालू कुनबा कुछ समझ पाता या फिर शिकारी कोई मौका देता उसके पहले ही बड़ा झटका राजद को मिल चुका था। इस जोड़ तोड़ के खेल के कप्तान सिंह साहब का तिलिस्म इतना रहस्यमयी था कि भांपने से पहले ही गोल पर गोल दाग दिया गया।ऐस गोल दागा कि असर दूर तक दिखने लगा है।एक ही अटैक में सिंह साहब ने कई शिकार कर लिये।

सिंह साहब का ऑपरेशन राजद

बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू ने ऑपरेशन राजद की शुरूआत वैसे तो 4 मार्च 2020 से ही शुरू कर दी थी। लेकिन इस मिशन में तेजी आज से 21 दिन पहले यानि 2 जून से शुरू की गई थी। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद उनके विश्वास पात्र ने मिशन को अंजाम देने की कार्यवाही शुरू कर दी।लक्ष्य था कि इस महीने के अंत कर शिकार कर लेना है।वैसा ही हुआ और 23 जून को हीं ऑपरेशन राजद सफल हो गया और 8 में 5 विधान पार्षद राजद छोड़कर जेडीयू में शामिल हो गए।

एक विधान पार्षद के जुगाड़ में थोड़ा लगा वक्त  

दरअसल जेडीयू  का यह लक्ष्य था कि कम से कम राजद के 5 सदस्यों को तोड़ा जाए।पार्टी को इस अभियान में शुरूआत में ही बड़ी सफलता मिल गई जब 4 विधान पार्षदों ने 10 दिन पहले हीं राजद छोड़ जेडीयू में शामिल होने संबंधी प्रस्ताव पर सहमति दे दी और बजाप्ता हस्ताक्षर भी कर दिया। ये विधान पार्षद थे राधाचरण सेठ,दिलीप राय,कमर आलम और संजय प्रसाद।लेकिन जेडीयू के लिए समस्या आ खड़ी हुई की कम से कम 5 एमएलसी चाहिए तभी जाकर विधिवित जेडीयू में शामिल कराया जा सकता था।


रणविजय सिंह ने सबसे अंत में हामी भरी

राजद को झटका देने की जिम्मेदारी संभाल रहे  सांसद ललन सिंह को इसमें थोड़ा वक्त लगा।लेकिन तीन दिन पहले हीं उन्हें कामयाबी मिल गई जब रणविजय सिंह ने भी राजद छोड़ जेडीयू में शामिल होने पर सहमति दे दी।2 दिन पहले ही उन्होंने जेडीयू में शामिल होने संबंधी प्रस्ताव पर साईन कर दिया।इस तरीके कुल 5 सदस्य राजद छोड़कर जेडीयू में शामिल होने पर अपनी मुहर लगा दी।

लालू परिवार को भनक लगा लेकिन दे दिया गच्चा

जेडीयू के लिए राजद विधान पार्षदों को तोड़ना इतना आसान काम नहीं था।क्यों कि एक तरफ एमएलसी को तैयार करना था वहीं दूसरी तरफ कानो-कान भनक नहीं लगे इस पर पूरा फोकस रखना था।

लालू प्रसाद को 18 जून को हो गई थी शंका

लालू परिवार को 18 जून को थोड़ी भनक मिली थी।जब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कमर आलम  पार्टी की राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल नहीं हुए।उन्हें ही बैठक बुलानी थी लेकिन उन्होंने न तो बैठक बुलाई और न मीटिंग में शामिल हुए।तब लालू परिवार के कान खड़े हुए।जब कमर आलम को फोन किया जाने लगा तो उनका मोबाइल स्वीच ऑफ बताया जाने लगा।लालू यादव की शंका थोड़ी गहराने लगी।जानकार बताते हैं कि आनन-फानन में प्रेमचंद गुप्ता से जानकारी ली गई कि कहीं दाल में काला तो नहीं। कमर आलम से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका मोबाइल बंद मिलने लगा।तब लालू परिवार को यह आभास नहीं हुआ कि हमारा राष्ट्रीय प्रधान महासचिव पार्टी छोड़कर जा सकता है।तेजस्वी यादव ने भी इसे हल्के में लिया। लेकिन राजनीति  के माहिर खिलाड़ी लालू प्रसाद यादव इसे हल्के में नहीं लेना चाहते थे,वे अचानक एक्टिव हो गए ।उन्हें लगने लगा कि कहीं न कहीं कुछ बात तो है।

एक-एक विधान पार्षदों से संपर्क साधने की कोशिश हुई शुरू

इसके बाद वे एक-एक विधान पार्षदों से बात करने लगे। लेकिन राजद छोड़ने वाले विधान पार्षदों को बताया गया था कि लालू प्रसाद के प्रति पूरी स्वामी भक्ति दिखानी है।उसी प्लानिंग के तहत सभी ने लालू प्रसाद के प्रति पूरी स्वामी भक्ति दिखाते हुए उनको भी गफलत में डाल दिया।बातचीत में राजद के सभी पांचों एमएलसी ने शब्दों का ऐसा जाल बुना कि लालू प्रसाद समझ नहीं पाए.बातचीत के माध्यम से विधान पार्षदों ने तो लालू प्रसाद की सारी शंका को हीं दूर कर दिया कि कहीं कोई अविश्वास है।इसके बाद लालू प्रसाद निश्चिंत हो गए।इधऱ प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी एक-एक विधान पार्षदों से बात कर रहे थे।जब पार्टी छोड़ने संबंधी बात जगदानंद सिंह ने की तो एक एमएलसी ने प्रदेश अध्यक्षको झिड़क तक दिया और कहा कि कहिए तो आज हीं पार्टी से इस्तीफा कर देते हैं। विधान पार्षद के सख्त रूख के बाद जगदानंद सिंह को भी लगा कि सबकुछ ठीक है।

22 जून को ऑपरेशन की उल्टी गिनती शुरू 

22 मई से ऑपरेशन की उल्टी गिनती शुरू हो गई। राजद के पांच एमएलसी ने जेडीयू में शामिल होने को लेकर तो अपनी सहमति दे ही दी थी।इसके बाद 22 जून को इनमें से 2 विधान पार्षदों ने सांसद ललन सिंह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद वहां से दोनों एमएलसी निकलते हैं और किसी गुप्त स्थान पर चले जाते हैं।रणनीति के तहत सभी   पांचों एमएलसी को अगले कुछ घंटों के लिए किसी अज्ञात स्थान पर मोबाइल बंद कर रहना था।कुछ वैसा हीं हुआ 22 जून की दोपहर 3 बजे के बाद सभी विधान पार्षद अपने आवास से किसी गुप्त स्थान पर चले गए।

23 जून को अचानक विप पहुंच गए सभी एमएलसी

23 जून को तय कार्यक्रम के मुताबिक सभी विधान पार्षद 2 गाड़ी में बैठकर अचानक विधानपरिषद पहुंच गए।वहां भी सारे लोग एक्टिव थे। लेकिन परिषद मे पहुंचने के बाद मीडिया के फोन आने लगे।तब जेडीयू के रणनीतिकारों ने मीडिया कर्मियो को गच्चा दे दिया और खबर भिजवा दिया कि सारे एमएलसी सीएम हाऊस चले गए।इसके बाद मीडिया कर्मियो की फौज सीएम हाऊस  रवाना हो गई।इसके बाद आराम से सभी एमएलसी विधान परिषद से निकल कर सांसद ललन सिंह के साथ सीएम नीतीश कुमार से मिलने सीएम आवास पहुंच गए।जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन सभी की प्रतीक्षा कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने सभी का किया स्वागत

मुख्यमंत्री आवास में नीतीश कुमार ने सभी पांच विधान पार्षदों को जेडीयू की सदस्यता दिलवाई।इसके बाद सीएम नीतीश इन सभी को गेट तक छोड़ने आए।मुंगेर के सांसद और इस ऑपरेशन के सेनापति रहे ललन सिंह खुद सभी  पांचो एमएलसी को लेकर सीएम हाउस के बाहर मीडिया के सामने पेश हुए और ऐलान कर दिया कि राजद को कहीं का नहीं रहने देंगे।

ललन सिंह बयान से साधने लगे थे कमान

अमूमन ललन सिंह राजनीतिक बयान देने और किसी भी नेता पर हमला करने से बचते रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में यह देखा गया की लालू के धुर विरोधी ललन सिंह लालू प्रसाद और उनके कुनबे पर लगातार हमला करते रहे उन्होंने यहां तक कहा कि ताली पीटने वाले लोग बहुत जल्द ही छाती पिटेंगे । हुआ भी कुछ ऐसा ही ।ऑपरेशन ब्रेक आरजेडी के कमान संभाल रहे ललन सिंह अपने बयान से सब कुछ साधने में जुटे थे लेकिन नेता प्रतिपक्ष अपने किले से ठाठ से बयान जारी करते रहे। लालू और उनके लाल जब तक समझ पाते तब ललन सिंह ने परिषद से राजद के सूपड़ा ही साफ कर दिया ।


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