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बाहुबलियों से रात के अंधेरे में मिलते हैं राजद के नायक तेजस्वी यादव,क्या ऐसे होगा बिहार का उत्थान

बाहुबलियों से रात के अंधेरे में मिलते हैं राजद के नायक तेजस्वी यादव,क्या ऐसे होगा बिहार का उत्थान

patna : बिहारी सियासत के दीवार पर एक कोने में टंगी बिहार विधानसभा के चुनावी आईने में सफेदपोश बनने की कोशिश में लगे नेताओं का असली चेहरा एक बार फिर से सियासत के इबारत पर तेजी से उभरने लगा है । राजनीति के अपराधीकरण की सबसे उर्वर भूमि बिहार की परखनली में न जाने अपराधियों और सियासत की केमेस्ट्री के कितने प्रयोग हुए हैं। इसके परिणाम के तौर पर वीर महोबिया ,सरदार कृष्णा,शहाबुद्दीन ,वीर बहादुर,आनन्द मोहन,पप्पू यादव,सूरजभान,राजन तिवारी और न जाने कितने लोग पॉलिटिकल प्रोडक्ट के तौर पर जनता के सामने सत्ता का लबादा ओढ़े व संवैधानिक पदों पर बैठे सफेदपोशों के द्वारा परोस दिए गए। 

बाद में उनकी करतूत से पैदा हुए राजनीतिक उत्पाद बिहार की नियति बन गये। भ्र्ष्टाचार के आरोप में सजा काट रहे सामाजिक न्याय के तथाकथित मसीहा लालू यादव ने तो राजनीति के साथ अपराधियों का ऐसा घालमेल किया कि बेचारी राजनीति चरित्र मुक्त हो गयी। सामाजिक और समष्टिगत सोच रखने वाले नेताओं को पैदा करने के मामले में सियासत की कोख बांझ हो गयी। 90 के दशक में माहौल ऐसा बना की सियासत जरायम पेशा की दुनिया के बेताज बादशाहों के लिये सबसे सुकूनदायक सैरगाह बन गया। वर्तमान में  तिहाड़ में बन्द सीवान वाले शहाबुद्दीन ने तो बिहार की सियासत को ही बंदी बना लिया था, फिर अनुमान लगाइये की उसके दहशत के दर्द से जनता कैसे बिलबिला उठती होगी। ऐसे बदनाम नामों के फेहरिश्त काफी लंबी है और इससे कहीं ज्यादा लंबी और खौफनाक है. इनके जुल्म की कहानी। जिसकी खूनी पटकथा लिखने में सियासत के सफेदपोश शहंशाहों की भूमिका बेहद संदिग्ध रही है। क्रूरतम हिंसा और जघन्यतम अपराध के अनगिनत अध्यायों के फड़फड़ाते पन्नों से उठता सड़ांध  इसके बेबाक गवाह हैं।


रात के अंधेरे में बाहुबलियों से मुलाकात
पंद्रह साल बनाम पंद्रह साल के वाक्य युद्ध के सहारे कुर्सी को झपटने की जुबानी जंग तीखी हो चली है। पोस्टर और दूसरों के द्वारा भाड़े पर गढ़े गए नारों से अपने को सत्य हरिश्चंद्र साबित करने की अंतहीन कोशिश भी की जा रही है। कोई बिहार के विकास की लोरी सुना रहा है तो कोई बिहार के उत्थान और बिहारियों के चेहरे पर मुस्कान की थ्योरी। लेकिन इस बीच पोस्टर और नारों के सहारे स्याह सच को छुपाने की कायराना कोशिश भी जारी है। कोई रात के अंधेरे में बाहुबलियों से मिल रहा है तो कोई उसकी पत्नी को टिकट दे अपराध से घिन्न होने के नाटक में जुटा है। यह जनता है सब जानती है लेकिन भला करे क्या। एक कहावत है " का पर करूँ सिंगार पिया मोर आंधर"

जी हां बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासत में एक बार फिर से  बाहुबलियों को फिर से कुर्सी तक पहुंचने की रस्साकसी जारी हो चुकी है। लेकिन यह खेल ज्यादा खतरनाक है। पहले खुला खेल फर्रुखाबादी होता था लेकिन अब चुपके चुपके। हद तो यह है कि बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री जो युवा सीएम बनने का सपना संजोए हुए हैं, जिनसे बिहार की जनता आशा भी कर कर रही है. वे साहब रात के अंधेरे में बाहुबलियों से मिल टिकट बांट रहे हैं। ऊपर से चतुराई ऐसी कि एक आईएसएस की पत्नी और मुखिया रितु जायसवाल,एक पदत्याग कर चुके नौजवान अधिकारी को सहित कुछ अन्य नेताओं को अपनी पार्टी का सिंबल देते समय सोशल मीडिया सहित अन्य मीडिया माध्यमों के साथ तस्वीर शेयर कर लेते हैं ताकि उत्थान और मुस्कान वाले नारे का रंग चोखा होते रहे। लेकिन बाहुबलियों से रात के अंधेरे में मिलकर सिंबल बांटने वाली तस्वीर छिपा ली जा रही ताकी इनका तेज न घटे। पोस्टर पर अपने पिताजी से पार पाने की कोशिश में अकेले दूल्हा बन छवि चमकाने के भरसक प्रयास जारी है।लेकिन ख्याल रखिये माथा पर मौरी तब ही चढ़ेगा जब चुनावी जनार्दन यानी जनता का भरोसा जीता जाय।

बाहुबलियों से याराना भी है और सबसे छुपाना भी है
तेजस्वी यादव लगातार राजद उम्मीदवार को सिंबल दे रहे हैं. अक्सर सिंबल देते हुए तस्वीर भी तेजस्वी की सामने आते रहती हैं. लेकिन जब बात बाहुबलियों की होती है तो तेजस्वी यादव थोड़ा बैक हो जाते हैं. सिंबल देते हुए तेजस्वी की कई तस्वीरें सामेने आईं हैं लेकिन रीतलाल यादव को सिंबल देने वाली तस्वीर बाहर नहीं आई. इससे पहले भी बाहुबली कहे जाने वाले रामा सिंह भी रात के अंधेरे में ही तेजस्वी आवास पहुंचे थे. धीरे से अपनी पत्नी के लिए सिंबल लिया और निकल गए. यही खेल रीतलाल यादव ने भी खेला वो कल यानि सोमवार को रात के अंधेर में राबड़ी आवास पहुंचे और अपने पत्नी के लिए टिकट लेकर निकल गए. 

हालांकि फिर रीतलाल यादव ने यह मैसेज क्लीयर कर दिया कि वो राबड़ी आवास क्या करने गए थे. रीतलाल ने अपनी पत्नी को खुद राजद का सिंबल देते हुए की तस्वीर वायरल कर दी. राजद की तरफ से लगातार बाहुबलियों को टिकट दिया जा रहा है चाहे वो अनंत सिंह हों, प्रभुनाथ सिंह के बेटे, नाबालिग से दुष्‍कर्म के मामले में सजायाफ्ता व राजद के पूर्व विधायक राजबल्‍लभ यादव की पत्‍नी विभा देवी को नवादा से टिकट दिया है. आरा जिले के संदेश विधान सभा क्षेत्र से भी उन्‍होंने नाबालिग से दुष्‍कर्म के मामले में फरार अरुण यादव की पत्‍नी किरण देवी पर भरोसा जताया हैऔर अबा रीतलाल यादव की पत्नी. आज भी तेजस्वी यादव को लगता है कि बाहुबल के जोर पर वोट मैनेज किया जा सकता है लिहाजा टिकट दनादन बांटा जा रहा है.लेकिन देखना होगा बिहार बदलने के नारों के बीच बाहुबलियों से ये याराना तेजस्वी का कितना साथ देता है.

कौशलेन्द्र की कलम से...



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