बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

RJD POLITICS: राजद प्रदेश अध्यक्ष के समर्थन में आए एक और बड़े नेता, कहा- ‘उनके फैसले का स्वगात करता हूं’

RJD POLITICS: राजद प्रदेश अध्यक्ष के समर्थन में आए एक और बड़े नेता, कहा- ‘उनके फैसले का स्वगात करता हूं’

PATNA:  बुधवार का दिन बिहार में हलचल भरा रहा। जिस तरीके से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने 10 दिनों बाद वापसी की, बड़े फैसले लिए और मीडिया के सामने सभी बातों पर खुलकर जवाब दिया, उससे एक बात तो साबित हो गई कि राजद में सबकुछ सही नहीं है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव खुद जगदानंद सिंह की तरफदारी और उनके फैसले पर सहमति जताते नजर आए। इसके अलावा पार्टी के एक और बड़े नेता जगदानंद सिंह और तेजस्वी यादव के समर्थन में आ गए हैं। 

यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब राजद प्रदेश अध्यक्ष ने अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए छात्र राजद अध्यक्ष के पद से आकाश यादव को हटाते हुए गगन यादव को उसकी कमान सौंप दी है। आकाश यादव तेज प्रताप के करीबी माने जाते हैं और प्रदेश अध्यक्ष के फैसले के बाद तेजप्रताप यादव का गुस्सा चरम पर पहुंच गया और उन्होंने इस संदर्भ में ट्वीट भी किया। उनके ट्वीट के बाद ही हंगामा हो गया और पार्टी का अंतर्कलह जगजाहिर हो गया।


इसी को लेकर राजद नेता शिवानंद तिवारी ने भी प्रदेश अध्यक्ष के फैसले का स्वागत किया है। उन्होनें कहा कि ‘जगदा भाई ने पार्टी के हित में जो कदम उठाया है, उसका मैं समर्थन और स्वागत करता हूं।’ इससे एक बात तो साफ जाहिर होती है कि जगदानंद सिंह के समर्थन में पार्टी के कई बड़े और कद्दावर नेता हैं। वहीं तेजप्रताप यादव ने जिस तरह से तंज कसते हुए ट्वीट किया है, उसको लेकर अभी आधिकारिक रूप से किसी ने कुछ कहा तो नहीं है, मगर तेज का ऐसा तंज दोबारा भूचाल ला सकता है, यह तय ही माना जा रहा है। 

वहीं इस मामले पर बात पार्टी के अन्य लोगों के समर्थन की बात करें तो पहले शिवानंद तिवारी और खुद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जगदानंद सिंह के फैसले का समर्थन किया है। उन्होनें यह बात भी साफ कर दी है कि इस मामले में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं है। तेजस्वी यादव ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि इस मामले में जगदा बाबू स्वतंत्र हैं। हमारा इसमें कुछ रोल है ही नहीं। राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं जगदा बाबू। उनको फैसला लेने का अधिकार है और वह पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। प्रदेश अध्यक्ष के हाथ में होता है कि कौन कहां रहेगा, किसे किस प्रकोष्ठ की कमान सौंपी जाएगी, संगठन में क्या फेरबदल होगा, क्या विस्तार करना है, किसे रखना है और पार्टी को कैसे आगे बढ़ाना है यह सभी प्रदेश अध्यक्ष ही देखते हैं।

Suggested News