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बिना सेनापति के ही सरकार के खिलाफ युद्ध के लिए उतर गए राजद के सिपाही, नेतृत्व के अभाव में बिखर गई पूरी सेना

बिना सेनापति के ही सरकार के खिलाफ युद्ध के लिए उतर गए राजद के सिपाही, नेतृत्व के अभाव में बिखर गई पूरी सेना

PATNA : ऐसा लगता है कि राजद अपने किसी आंदोलन को गंभीरता से नहीं लेती है। अब तक सरकार में बैठे लोग यह बात कहते रहे हैं। यह बात एक बार फिर से साबित हो गई, जब आज मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कराने और जातिगत जनगणना कराने को लेकर राजद ने जिला मुख्यालयों के घेरने की योजना बनाई। लेकिन, जिस तरह पूर्व के आंदोलनों में होता रहा है कि ऐन समय पर आंदोलन के नेतृत्वकर्ता ही नदारद हो जाते हैं। एक बार फिर से पार्टी में वही कहानी दोहरा दी गई और आंदोलन में पार्टी के सेनापति तेजस्वी यादव खुद गायब हो गए। पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं का हुजूम तो उमड़ा, लेकिन इसमें राजद के ए ग्रेड का कोई नेता नजर नहीं आया। न तेजस्वी और न उनके बड़े भाई तेज प्रताप और न पार्टी का कोई अधिकारी इस विरोध का हिस्सा बना।

ऐसे कैसे देंगे जदयू को चुनौती

शुक्रवार को प्रदेश की तीसरे नंबर की पार्टी ने यह दिखा दिया था कि उनके पास सीटें भले ही कम है, लेकिन सरकार अब भी उनकी है। हजारों की भीड़ और उत्साह के साथ जदयू ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया तो लगा कि बिहार की नंबर एक पार्टी उनसे आगे नहीं तो कम से कम चुनौती तो अवश्य देगी। राजद यह बताएगी कि बात अगर भीड़ जुटाने की है तो वह जदयू से कम नहीं है। 

20 दिन पहले भी तेजस्वी ने किया था ऐसा

20 दिन पहले भी राजद ने प्रखंडों और जिला मुख्यालयों के घेराव की घोषणा की थी। लेकिन, ठीक आंदोलनवाले दिन तेजस्वी सारे कार्यक्रम छोड़कर दिल्ली रवाना हो गए। जिसका नतीजा यह हुआ कि कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ गया। जहां जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह कार्यकर्ताओं को उत्साह बढ़ाने के लिए इस तरह के आयोजन को जरुरी मानते हैं, वहीं राजद के होनेवाले अध्यक्ष हर बार अपने कार्यकर्ताओं के उत्साह को कम कर जाते हैं। जिसके कारण सत्ता में बैठे लोगों को यह बोलने का मिल जाता है 

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