पटना-राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि इंडिया गठबंधन की तीसरी बैठक के पहले ही एक और सफलता मिली, गुजरात सरकार को ओबीसी आरक्षण के मामले में झुकना पड़ा.चित्तरंजन गगन ने कहा कि इंडिया गठबंधन के दबाव में भाजपा को अब वैसे मुद्दों पर पुनर्विचार करने को मजबूर होना पड़ रहा है जिसे वह अबतक नजरअंदाज करती रही है
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जनवरी 2022 में देश की सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार को आयोग गठित कर ओबीसी के आबादी की समीक्षा कर उसके लिए आरक्षण कोटा निर्धारित करने का आदेश दिया था. जिसके तहत गुजरात सरकार द्वारा गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के एस झाबेरी के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था. गगन ने गुजरात सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कई माह पहले हीं आयोग ने अपनी रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौंप दी थी,इसके बावजूद गुजरात की राज्य सरकार ने दबा दिया था.
ओबीसी आरक्षण को लागू करने के लिए इंडिया गठबंधन के महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस ने आन्दोलन की घोषणा की. 23 अगस्त को अहमदाबाद में विशाल धरना दिया गया.इसके साथ ही 31 और 01 सितम्बर को मुम्बई में होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक में भी यह मामला उठने वाला था. गगन ने कहा कि इससे भाजपा डर गई और आनन - फानन में गुजरात सरकार को झाबेरी आयोग की अनुशंसा के आलोक में ओबीसी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ा कर 27 प्रतिशत करना पड़ा.
राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि इंडिया महागठबंधन के दबाव में केन्द्र की भाजपा सरकार को बिहार में हो रहे जातीय जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे को संशोधन करने को मजबूर होना पड़ा. इंडिया महागठबंधन को दूसरी सफलता तब मिली जब केन्द्र सरकार को घरेलू रसोई गैस के कीमत में 200 रुपया कम करना पड़ा और इस गठबंधन को अब तीसरी बड़ी सफलता गुजरात में मिली है, जहां गुजरात की भाजपा सरकार को स्थानीय निकायों के चुनावों में ओबीसी के लिए पूर्व के 10 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ा कर 27 प्रतिशत करना पड़ा है.