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नीतीश के “चीफ मैनेजर” का मैनेजमेंट हुआ फेल, जोकीहाट में राजद की बड़ी जीत

नीतीश के “चीफ मैनेजर” का मैनेजमेंट हुआ फेल, जोकीहाट में राजद की बड़ी जीत

PATNA – गैंगरेप और मूर्ति चोरी जैसे संगीन मामलों के आरोपी को टिकट देकर भी नीतीश कुमार 13 सालों के अपने गढ़ जोकीहाट को बचा नहीं पाये. सीमांचल की इस सीट पर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के चीफ मैनेजर RCP सिंह का सारा मैनेजमेंट फेल हो गया. 60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली इस सीट पर नीतीश के एक और सलाहकार विजेंद्र यादव भी औंधे मुंह गिरे. जोकीहाट में RJD उम्मीदवार शाहनवाज आलम 41 हजार 224 वोटों से जीते. उप चुनाव की मतगणना खत्म होने के बाद RJD के शाहनवाज आलम को 81240 वोट मिले जबकि JDU के मुर्शीद आलम को सिर्फ 40016 वोट. ये वही सीट है जहां 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 53 हजार 980 वोटों से जीत हासिल की थी. जोकीहाट की जीत ने आर जे डी के युवराज तेजस्वी यादव को बिहार की पॉलिटिक्स में स्थापित कर दिया है.

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60 फ़ीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटरों वाले जोकीहाट विधानसभा में राजद की स्थिति पहले से ही मजबूत मानी जा रही थी लेकिन सांसद सरफ़राज़ आलम के चुनाव प्रचार से दूर रहने की वजह से मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद थी. तेजस्वी यादव ने चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिनों में जोकीहाट में खुद कैम्प कर अपने उम्मीदवार के लिए वोट मांगा. तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जोकीहाट में क्लीनबोल्ड करने का दवा भी किया था. इससे पहले अररिया लोकसभा और जहानाबाद विधानसभा उपचुनाव में भी राजद ने जीत हासिल कर अपनी सिटिंग सीट बचाई थी. अब जोकीहाट सीट जदयू से छिनने के साथ तेजस्वी का कद ज्यादा मजबूत होकर उभरा है.

आरसीपी का इलेक्शन मैनेजमेंट हुआ फ़ेल

जोकीहाट में जदयू ने उम्मीदवार भले ही मुर्शीद आलम को बनाया था लेकिन चुनाव की कमान सीधे जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह संभाल रहे थे. आरसीपी सिंह ने अपनी कोर टीम के साथ जोकीहाट में खूंटा गाड़ कर बैठे रहे. जेडीयू के एक दर्जन मंत्री, 25 से ज्यादा विधायक और 500 नेताओं की टीम ने आरसीपी के नेतृत्व में जोकीहाट पर फतह के लिए हर हथकंडा अपनाया. मुस्लिम वोटरों के पास ख़ास रणनीति के साथ जाकर सहयोगी दल भाजपा को भी कोसा लेकिन कुछ भी काम नहीं आया. आरसीपी सिंह ने ही चुनावी प्लान के मुताबिक भाजपा के नेताओं को जोकीहाट से दूर रखा था लेकिन जदयू को जीत नहीं मिल सकी. जोकीहाट उपचुनाव में हार आरसीपी सिंह के लिए बड़ा झटका है. जानकार बताते हैं कि आरसीपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह भरोसा दिलाया था कि मुस्लिमों के अन्दर आने वाले सेखरा समुदाय का वोट जदयू को मिलेगा. इसके लिए आरसीपी ने नीतीश कुमार की सेक्यूलर इमेज को आगे रखने की कोशिश भी की लेकिन भाजपा के साथ जाने के कारन जदयू से मुस्लिम वोटरों का भरोसा जाता रहा. अशोक चौधरी से लेकर खालिद अनवर तक को जोकीहाट में लगाना गलत प्रयोग साबित हुआ. जदयू को उम्मीद थी कि राजद उम्मीदवार का वोट बाकी के निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार भी काटेंगे, अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए जीत की राह बन जाएगी. निर्दलीय मो. शब्बीर और जाप उम्मीदवार गौसूल आलम को ही थोडा बहुत वोट मिल सका. जोकीहाट की जनता ने वोटकटवा उम्मीदवारों का न के बराबर वोट दिया.

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विजेंद्र यादव भी औंधे मुंह गिरे

दरअसल पूरे सीमांचल में अपने कारनामों से कुख्यात मुर्शीद आलम को बिहार के मंत्री और नीतीश कुमार की कोर टीम के सदस्य विजेंद्र यादव ही ढूंढ कर लाये थे. गैंगरेप और अष्टधातु की मूर्ति की चोरी जैसे संगीन मामलों का आरोपी मुर्शीद आलम जेडीयू का मेंबर तक नहीं था. लेकिन अररिया के प्रभारी मंत्री विजेंद्र यादव में उसे ढ़ूढा और नीतीश ने उसे टिकट से नवाज दिया. अपनी खास पसंद मुर्शीद आलम को जीत दिलाने के लिए विजेंद्र यादव भी लगातार जोकीहाट में कैंप किये रहे.

जीत का समीकरण

जोकीहाट में जीत के साथ ही यह बात पक्की हो गई कि बिहार में मुस्लिम वोटरों के बीच राजद का इकलौता जनाधार है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या उनकी पार्टी जदयू अगर मुस्लिम तबके से समर्थन की उम्मीद लगाये बैठी है तो उनका सपना 2019 में भी चकनाचूर होना तय है. हालांकि राजद के लिए आगामी चुनावों से पहले जोकीहाट की जीत कई मायनों में ख़ास है. तेजस्वी के नेतृत्व में राजद बढे हुए मनोबल के साथ 2019 के चुनावी रण में उतरेगा. 

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