PATNA: बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी 2 छोटे दलों के बूते टिकी हुई है . जिन 2 दल के सहारे नीतीश कुमार की सरकार चल रही उनके नेताओं का मन डोल रहा है। दोनों दल के नेता समय-समय पर मन डोलने का सबूत खुद ही पेश कर रहे हैं। बिहार का सबसे बड़ा दल राजद मांझी को जगाने और उनकी ताकत को अहसास कराने में जुटा है। तेजस्वी यादव की पार्टी की तरफ से जीतनराम मांझी को यह याद दिलाई जा रही है कि आप अपनी ताकत को समझें,आपकी बदौलत ही सरकार है।
राजद ने मांझी की ताकत को कराया याद
राजद ने कहा है कि नीतीश सरकार में जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी को कोई तवज्जो नहीं मिल रहा। सत्ता की मलाई सिर्फ जेडीयू-बीजेपी खा रही है। सरकार में इन दोनों नेताओं की कोई पूछ नहीं है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि नीतीश कुमार अगर बिहार के मुख्यमंत्री हैं तो वो सिर्फ मांझी और सहनी की वजह से। इसके बाद भी इन छोटे दल के नेताओं की कोई पूछ नहीं है। इन दोनों नेताओं से कोई राय नहीं ली जाती है। इनके ही बल पर बिहार में सरकार बनी है।राजद प्रवक्ता ने कहा कि तवज्जो नहीं मिलने से मांझी-सहनी कई बार नाराजगी भी दिखा चुके हैं। अब वे क्या फैसला लेंगे ये वे ही बतायेंगे। लालू प्रसाद से मांझी जी का संबंध किसी से छुपा नहीं है। राजनीति में दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं,अब देखना होगा मांझी जी क्या निर्णय लेते हैं।
तो बाजी पलटने वाले हैं लालू यादव?
नीतीश कुमार की सरकार में शामिल हम और वीआईपी को अपने पाले में लाने की कोशिश राजद की तरफ से भीतर ही भीतर जारी है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि लालू प्रसाद इस मिशन में जुटे हैं. जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी का भीतरी गठबंधन भी बहुत कुछ कह रहा है। बताया जाता है कि सरकार में तवज्जो नहीं मिलने और विप की 1-1 सीट नहीं मिलने की वजह से मुकेश सहनी और मांझी भीतर ही भीतर नाराज हैं और बदला लेने की ताक में हैं। इसके लिए समय का इंतजार किया जा रहा है। ये दोनों नेता समय-समय इसका प्रकटीकरण भी करते आ रहे हैं। शनिवार को भी मुकेश सहनी मांझी के आवास पर पहुंचे थे दोनों में लंबी बातचीत हुई थी। दोनों नेताओं ने इसकी तस्वीर भी जारी कर कहा था कि कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। अगर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की रणनीति काम कर गई तो मुख्यमंत्री की कुर्सी डोलने से कोई नहीं रोक सकता । क्यों कि वीआईपी और हम के 4-4 विधायक हैं । अगर ये 8 विधायक महागठबंधन को समर्थन कर दें तो संख्या 118 पर पहुंच जायेगी। सत्ता तक पहुंचने के लिए बाकी की दूरी ओवैसी की पार्टी AIMIM पूरी कर सकती है। इस दल के पांच विधायक हैं। अगर सरकार में शामिल न होकर बाहर से भी समर्थन दे दें तो यह संख्या 123 यानी जादुई आंकड़ों को छू देगी। बिहार में वैसे तो कुल विधायकों की संख्या 243 है। बहुमत के लिए कम से कम 122 विधायकों का समर्थन चाहिए। हालांकि वर्तमान में बिहार विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 242 है। जेडीयू के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन से एक सीट खाली है।
बिहार में सत्ता का समीकरण
NDA.......बीजेपी-74,जेडीयू-44, हम-4, वीआईपी-4, और निर्दलीय-1=127
महागठबंधन......राजद-75, कांग्रेस-19, माले-12, सीपीआई-2, सीपीएम-2=110
AIMIM-5.... कुल- 75+19+12+2+2+5=115
अगर मांझी-सहनी ने पाला बदला तब की स्थिति जानिए.....
राजद-75, कांग्रेस-19, माले-12, सीपीआई-2, सीपीएम-2, AIMIM-5, हम-4, वीआईपी-4=123. अगर ओवैसी की पार्टी ने तेजस्वी यादव को समर्थन नहीं दिया तब मांझी और सहनी के महागठबंधन में आने से भी सरकार बनते नहीं दिख रही है।