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उपेंद्र कुशवाहा ने अपने फायदे के लिए रालोसपा को बेच दिया : विनय कुशवाहा

उपेंद्र कुशवाहा ने अपने फायदे के लिए रालोसपा को बेच दिया : विनय कुशवाहा

GAYA : राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के संस्थापक सदस्य, पूर्व प्रदेश महासचिव एवं उपेंद्र कुशवाहा के संघर्ष के पुराने साथी विनय कुशवाहा ने कहा कि रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने अपने निजी स्वार्थ के लिए कार्यकर्ताओं के खून पसीने से बनाई हुई रालोसपा को बेच डाला. विनय कुशवाहा ने आगे बताया कि नीतीश कुमार के शासन से मुक्ति के लिए 3 मार्च 2013 को पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का निर्माण मेरे जैसे हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं ने तन मन धन से खून पसीना लगाकर किया था. ताकि बिहार में एक स्वच्छ, बिहार में विकास करने वाली, भ्रष्टाचार मुक्त और सुशासन की सरकार दी जाए. उन्होंने कहा की इस पार्टी का हम सब ने मिलकर उपेंद्र कुशवाहा जी को पार्टी का नेता माना और लगातार उपेंद्र कुशवाहा के निर्देश पर शिक्षा, स्वास्थ्य, बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर बिहार के सड़कों पर नीतीश कुमार के खिलाफ संघर्ष  किया. कितने बार लाठियां खानी पड़ी. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा ने हजारों कार्यकर्ताओं को ही नहीं, बल्कि बिहार की जनता और पूरे कुशवाहा समाज को बेवकूफ बनाने का काम किया. 

कुशवाहा ने कहा की जिस नीतीश कुमार के बारे में पूरे बिहार में प्रचारित करवा कर भड़काने का काम किया की नीतीश कुमार कुशवाहा समाज को नीच कहते हैं. साथ ही स्वयं को मरवाने का भी आरोप लगाया. इस तरह से शिक्षा सुधार के लिए तरह-तरह का नाटक किया. आमरण अनशन करके नीतीश सरकार पर गंभीर आरोप लगाया. लेकिन अब नीतीश कुमार से मिलकर रालोसपा का जदयू में विलय कर दिया. आखिर उपेंद्र कुशवाहा की यह ऐसी राजनीति है. इन्होंने पूरे बिहार के लाखों कार्यकर्ताओं को सिर्फ बेवकूफ बनाने का काम किया है. बिहार की आम जनता को दिग्भ्रमित किया. आखिर जिस सरकार के खिलाफ उन्होंने लगातार आंदोलन चलाया. उन्हीं के साथ पार्टी का विलय करना आखिर कितना उचित है?

विनय कुशवाहा ने आरोप लगाया की उपेंद्र कुशवाहा ने राजनीति को व्यापार बना दिया. इन्होंने पार्टी बनाकर अकूत धन संपत्ति अर्जित की है. सिर्फ अपने लिए अपने परिवार के लिए हजारों कार्यकर्ताओं को मोहरा बना दिया. इन्होंने सत्ता के लिए सिर्फ राजनीति की. विगत लोकसभा चुनाव इसका ताजा उदाहरण है. राजद गठबंधन से 5 सीट मिलने के बाद उजियारपुर और काराकाट 2 सीट पर स्वयं चुनाव लड़ कर हार गए. 2 सीट बेतिया और मोतिहारी इन्होंने बाहरी लोगों के हाथों बेच दिया. पार्टी के संघर्षशील कार्यकर्ताओं को टिकट न देकर सिर्फ पैसे के लिए टिकट को बेचने का काम किया. इसके पूर्व एनडीए के शासनकाल में विधानसभा चुनाव के समय भी समर्पित कार्यकर्ताओं को टिकट न देकर बाहरी लोगों को टिकट बेचने का काम किया था. इनकी राजनीति पूरी तरह से अपने निजी स्वार्थ पर केंद्रित रहे और कार्यकर्ताओं को भरपूर इसमें इस्तेमाल किया .भोले भाले कार्यकर्ता इनके लोकलुभावन बातों में आकर हमेशा गुमराह होते रहे और उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ अपने फायदे के लिए आज पार्टी का जदयू में विलय कर दिया. 

विनय कुशवाहा ने कहा की उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार की जनता बिहार के पूरे कुशवाहा समाज और हजारों निष्ठावान संघर्षशील कार्यकर्ता को धोखा देकर फिर से एक बार सत्ता में काबिज होने के लिए नीतीश कुमार के साथ पार्टी का विलय कर दिया. उन्होंने यह साबित कर दिया इनकी राजनीति अपने अपने परिवार के राजनीतिक भविष्य धन इकट्ठा करने तक सीमित है. बिहार की जनता इन्हें माफ करने वाली नहीं है. 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट

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