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नीतीश सरकार के खिलाफ 10 मई को पूरे बिहार में ” काला दिवस ” मनाएगी रालोसपा : उपेंद्र कुशवाहा

नीतीश सरकार के खिलाफ 10 मई को पूरे बिहार में ” काला दिवस ” मनाएगी रालोसपा : उपेंद्र कुशवाहा

PATNA: बिहार में बढ़ते कोरोना संक्रमण और बिहारियों के साथ हो रही परेशानी के बाद रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने काला दिवस मानने का ऐलान किया है. अपने पैतृक निवास स्थान जावज, जंदाहा, वैशाली  से आम जनों एवं मीडिया व रालोसपा के साथियों को फेसबुक लाइव के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि बिहार सरकार कोरोना जैसी महामारी से निपटने में नाकाम साबित हो रही है. मीडिया कर्मियों पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दिनांक 10 मई को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक राज्य व्यापी "काला दिवस" मनाने का फैसला लिया गया है. 

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार सरकार कोरोना जैसी महामारी से निपटने में नाकाम साबित हो रही है. क्वॉरेंटाइन सेंटर्स का हाल इतना बुरा है जहां सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. इस बदहाली का सच उजागर करने वाले मीडिया के लोगों पर पाबंदी लगाकर राज्य सरकार ने विचित्र निर्णय लिया है.

कुशवाहा ने कहा कि नीतीश सरकार ने क्वॉरेंटाइन सेंटर्स पर मीडिया के लोगों का प्रवेश वर्जित कर दिया है ताकि सच सामने नहीं आ सके. उन्होंने कहा कि ऐसा निर्णय सीधा लोकतंत्र पर हमला है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.ऐसे निर्णय की जितनी निंदा की जाए कम है. कुशवाहा ने बिहार सरकार के सामने ये प्रमुख मांगें एव सुझाव रखा है. 

नीतीश सरकार से कुशवाहा की 5 बड़ी मांगें 

1.बिहार से बाहर फंसें मजदूरों,जो घर वापसी चाहते हैं, को बुलाने की त्वरित कार्रवाई की जाए तथा जो स्वेच्छा से वहां ही रुकना चाहें,उनके खाते में ही उतनी रकम डाल दी जाये जितनी  उनको ट्रेन से लाने, क्वारिनटीन करने आदि पर खर्च हो जाता है।यह ख़र्च सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति पर कम से कम 10000/- का होता है।अर्थात प्रति व्यक्ति 10000/-की राशि सभी के खाते में डालने की व्यवस्था की जाए।

2.बिहार में रह रहे वैसे लोग ,जिनके खाते में अबतक मात्र 1000/-दिया गया है, उन्हें दूसरी क़िस्त की राशि भी शीघ्रातिशीघ्र उपलब्ध करवाई जाए। 

3.राज्य में रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु ठोस योजना बनाई जाए।

4.किसानों के नुकसान की भरपाई हेतु ठोस ,पर्याप्त एवम त्वरित कार्रवाई की जाए।

5.क्वरेंटीन सेंटर से खबर संग्रहित करने से मीडिया कर्मियों को प्रतिबंधित करने के लोकतंत्र विरोधी आदेश को अविलंब वापिस किया जाये। 


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