BHAGALPUR : भारत की स्वतंत्रता के 75 वीं वर्षगांठ पर अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में जिले भर में अमृत महोत्सव आयोजन समिति के तत्वाधान में अगस्त माह तक 100 स्थानों पर समारोह आयोजित किया जायेगा। जिले का पहला कार्यक्रम तिमांविवि के बहुउद्देश्यीय प्रशाल में श्रीशिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगामानंद जी महाराज की अध्यक्षता में हुई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रज्ञा प्रवाह के पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के क्षेत्र संगठन मंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रामाशीष सिंह काशी से यहां आए। उन्होंने कहा कि आरएसएस के संस्थापक डा केशव बलिराम हेडगेवार ने देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनुशीलन समिति से जुड़े स्वतंत्रता सेनानी के रूप में वे कांग्रेस में भी काफी समय तक रहे। क्रांतिकारियों की हर प्रकार की सहायता की। भगिनी निवेदिता ने अनुशीलन समिति के लिए धन इकट्ठा किया। क्रांतिकारियों का मार्गदर्शन किया। डा हेडगेवार के संपर्क में रहीं। कांग्रेस के अधिवेशन में डा हेडगेवार ने तीन प्रास्ताव रखे। हालांकि कांग्रेस ने उसे पारित नहीं किया। वे महर्षि अरविंद से मिले। उन्होंने उनसे आग्रह किया की सन्यास छोड़कर आप स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से योगदान दें। हालांकि वे तैयार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि मैं भारत की आराधना करूंगा।
स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर विषय पर बोलते हुए रामाशीष सिंह ने कहा कि देश को स्वतंत्र कराने में हर वर्ग के लोगों का साथ रहा है। हर गांव से क्रांति की आवाज उठी। संथाल वर्ग की अहम भूमिका रही। अंग्रेजों ने 20 हजार संथालियों को गोली मार दी। पूरा देश आंदोलित हो उठा। सन्यासियों ने जब आवाज उठायी तो 150 संतों पर अंग्रेजों ने एक साथ गोली चला दी। बंकिम चंद्र चटर्जी ने आनंदमठ की रचना की। स्वाधीनता आंदोलन में इस पुस्तक की अहम भूमिका है। बंदे मातरम स्वतंत्रता आंदोलन का नारा बन गया। बंदे मारतम सुनकर अंग्रेज कांप उठते थे। कवियों और साहित्यकारों की भी इस आंदोलन में अहम भूमिका रही। रामशीष सिंह ने कहा कि इतिहासकारों ने कई ऐसे प्रसंगों की जानकारी हमें नहीं दी, जो हमारे देश की दशा और दिशा में सहायक सिद्ध होती।
उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने हमें पढ़ाया कि 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ हुए विद्रोह ही पहला स्वतंत्रता आंदोलन है, लेकिन यह सरासर झूठ है। क्रांतिकारी देश को स्वतंत्र करने काफी पहले से जुट गए थे। उन्होंने कहा कि रामायण, महाभारत जैसे प्ररेणादायी ग्रंथ को झूठी कहानी कहा। क्रांतिकारी गीता का अध्याय पढ़कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने कहा था हर भारतीय वेद की ओर लौटो। रामाशीष सिंह ने कहा कि सनातन धर्म ही भारत की राष्ट्रीयता है। लेकिन देश जब स्वतंत्र हुआ उसी समय देश का विभाजन हो गया। जो भारत की अखंडता का बाधक है। उन्होंने कहा कि विवेकानंद कहते थे इस देश का प्राण धर्म है। पूर्व कुलपति प्रो डा नंद किशोर यादव इंदू ने कहा कि भारत फिर से अखंड होगा। कार्यक्रम संयोजक हरविंद नारायण भारती ने राष्ट्र की जयचेतना का गान बंदे मातरम गीत गाया। मंच पर आरएसएस के सह जिला संघचालक डॉ चंद्रशेखर साह भी मौजूद थे। संचालन प्रो ब्रज भूषण तिवारी ने किया। इस दौरान नगर संघचालक प्रो विजेंद्र कुमार, विभाग प्रचारक विजेंद्र, अजीत कुमार, श्रीधर मिश्र, रमाकांत, डॉ संजय कुमार, आशीष, अजीत घोष, अतुल कुमार आदि वहां मौजूद थे। कार्यक्रम में एक हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
भागलपुर से अंजनी कुमार कश्यप की रिपोर्ट