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मनोज तिवारी ने सात साल पहले किया सचिन तेंदुलकर के प्रतिमा का स्थापना, प्रशंसकों को अबतक मंदिर का इन्तजार

मनोज तिवारी ने सात साल पहले किया सचिन तेंदुलकर के प्रतिमा का स्थापना, प्रशंसकों को अबतक मंदिर का इन्तजार

KAIMUR : कैमूर जिले के मोहनियां प्रखंड के अतरवलिया ग्राम में सात वर्ष बाद भी क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का मंदिर नहीं बन सका. स्थानीय प्रखंड के अतरवलिया ग्राम निवासी भोजपुरी गायक,सिनेस्टार सह सांसद मनोज तिवारी ने वर्ष 2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान सचिन तेंदुलकर का मंदिर बनाने का ताना-बाना बुना था. 19 सितंबर 2013 को क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की पांच फीट तीन इंच ऊंची प्रतिमा को 10 फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थापित किया गया. 

इस मौके पर मनोज तिवारी, उनकी मां ललिता तिवारी व परिजनों के अलावा कैमूर के तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद कुमार सिंह, एसडीएम खुर्शीद अनवर सिद्दीकी,भोजपुरी गायक व अभिनेता दिनेश लाल निरहुआ सहित काफी संख्या में जिले के लोग उपस्थित थे. डीएम ने ही मूर्ति का अनावरण किया था. तिवारी ने 1500 स्क्वायर फीट में क्रिकेटरों के मंदिर के अलावा 17 एकड़ भूमि में खेल मैदान व खेल अकादमी बनाने की घोषणा की थी. मंदिर में क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर व वर्ष 2011 में विश्व कप जीतने वाली टीम के सभी खिलाड़ियों की प्रतिमा स्थापित करने की योजना थी. राजस्थान में साढे आठ लाख की लागत से सचिन तेंदुलकर की संगमरमर की आदमकद प्रतिमा बनकर तैयार हुई थी. इसके साथ महेंद्र सिंह धोनी की भी प्रतिमा आई थी. नीले रंग की जर्सी में खड़े सचिन तेंदुलकर के हाथ में विश्व कप की ट्रॉफी है. 

16 नवंबर 2013 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वेस्टइंडीज के विरुद्ध  खेलते हुए सचिन तेंदुलकर ने अपने दो सौ टेस्ट पूरे करने के बाद क्रिकेट जीवन से संन्यास लिया था. इसके बाद मनोज तिवारी ने कहा था की क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के सम्मान में वे अपने पैतृक गांव अतरवलिया में एक मंदिर बनाएंगे. जिसमें सचिन तेंदुलकर के अलावा 2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के सभी खिलाड़ियों की प्रतिमा लगेगी. मंदिर से लोगों की आस्था से जुड़ा होता है. जिसमें स्थापित प्रतिमा कि लोग विश्वास के साथ पूजा करते हैं. इस घोषणा की देश विदेश में भी चर्चा हुई थी. इसके बाद से कैमूर जिला के मोहनियां प्रखंड का अतरवलिया गांव चर्चा में आया था. मिडिया में काफी दिनों तक यह छाया रहा. 

उनका मानना था कि मंदिर में क्रिकेट खिलाड़ियों की प्रतिमा स्थापित करने से उनकी याद को बराबर ताजा करने के साथ-साथ नई पीढ़ी को क्रिकेट के प्रति जागरूक करना है. सात वर्ष बीत जाने के बाद भी अतरवलिया गांव में क्रिकेट का मंदिर नहीं बन सका. आज भी चबूतरे पर सचिन तेंदुलकर की प्रतिमा स्थापित है. धूप व बरसात से बचने के लिए प्रतिमा के ऊपर छतरी लगी है. क्रिकेट के भगवान व देश के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के जन्मदिन के मौके पर भी परिजनों व ग्रामीणों में वह आस्था व जोश नहीं दिखता जो प्रतिमा स्थापना के मौके पर देखने को मिला था. अब देखना है कि अतरवलिया गांव में क्रिकेट के भगवान का मंदिर कब बनकर तैयार होता है. 

कैमूर से देवब्रत की रिपोर्ट 

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