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शहाबुद्दीन ने अपने बीमार मां के पास जाने के लिए पैरोल मांगा, सुरक्षा को लेकर दिल्ली और बिहार सरकार में फंसा पेंच

शहाबुद्दीन ने अपने बीमार मां के पास जाने के लिए पैरोल मांगा, सुरक्षा को लेकर दिल्ली और बिहार सरकार में फंसा पेंच

डेस्क... गैंगस्टर से नेता बने शहाबुद्दीन तिहाड़ जेल में बंद है और वह सिवान जाना चाहता है। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व नेता शहाबुद्दीन को 2018 में बिहार की सिवान जेल से तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया था। हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शहाबुद्दीन ने सिवान जाने के लिए इस आधार पर ‘कस्टडी पैरोल’ मांगी थी कि उनके पिता का 19 सितंबर को निधन हो गया और वह अपनी मां के साथ समय बिताना चाहता है। शहाबुद्दीन ने अपनी मां के अस्वस्थ होने का हवाला दिया है।

दिल्ली और बिहार सरकार के वकीलों ने ‘कस्टडी पैरोल’ की स्थिति में भी शहाबुद्दीन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जस्टिस एजे भंभानी के समक्ष जरूरी आवश्यकताओं का जिक्र किया। दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय लाव ने कहा कि बिहार में कैदी की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि उन्हें बिहार ले जाना मुश्किल होगा, क्योंकि उनके साथ जाने के लिए पुलिस की एक पूरी बटालियन की जरूरत होगी और कोविड-19 महामारी के कारण ट्रेनें भी सामान्य रूप से नहीं चल रही हैं।


तिहाड़ जेल में बंद है शहाबुद्दीन

बिहार की ओर से पेश वकील केशव मोहन ने कहा कि शहाबुद्दीन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है और दिल्ली को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राहत प्रदान किए जाने की स्थिति में आवश्यक व्यवस्थाओं का ब्योरा नए हलफनामे में दायर किया जाएगा। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति भंभानी ने कहा, अदालत कैदी को परिवार में शोक जैसी स्थिति में ‘कस्टडी पैरोल’ देने पर विचार कर सकती है, लेकिन यहां मुद्दा यह है कि बिहार और दिल्ली सरकार दोनों सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं।

अदालत ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के इच्छुक नहीं हैं कि वह उनकी हिरासत में सुरक्षित रहेगा। धमकी का तत्व वही है, आप छह घंटे के लिए कस्टडी पैरोल में जाएं या अधिक समय के लिए। क्यों नहीं आपका परिवार दिल्ली आकर आपसे मिल लेता है। दिल्ली में आपको एक अलग जगह दी जाएगी जहां आप अपने परिवार से मिल सकते हैं। शहाबुद्दीन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि बिहार सरकार एक हलफनामे में कहे कि वह उनकी देखरेख और रक्षा नहीं कर सकते हैं। इसके बाद वह अदालत द्वारा सुझाए गए विकल्प पर विचार करेंगे। शहाबुद्दीन को ‘हिस्ट्रीशीटर टाइप ए’ या सुधार से परे घोषित किया गया था।


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