PATNA: हुजूर, माई-बाप कहने वाली जनता जब वर्दी को बेगैरत होते देखती है तो पानी उतारने में तनिक देर नहीं लगाती। रविवार को मुजफ्फऱपुर और सोमवार को सहरसा में वर्दी का इकबाल जिस तरह से बिखऱता दिख रहा है उस पर आपको सोंचने की जरुरत है।सिर्फ थानों में जाकर निरीक्षण करने से कुछ नहीं होगा।
ऐसा लगता है कि खाकी का रंग बदरंग करने में खाकी वालों का हीं हाथ है।हत्या,लूट,अपहरण,रंगदारी से लेकर कालाबाजारी तक सबमें कहीं न कहीं साथ और हाथ जब दिखता है तो जनता खाकी वालों को हीं हाथों –हाथ ले लेती है।सहरसा के नरसिंह झा ने किसका क्या बिगाड़ा था जिसे गोली मार दी गई। उसका पाप इतना हीं था कि वो एक कंपनी में सेल्स मैनेजर के पद पर कार्यरत्त था।संयोगवश जिला पुलिस के कप्तान के तौर पर आप कायम थे।अपराधियों का मनोबल दिन दूना रात चौगुना कुलांचे मार रहा है।न जानें आपके और आपके मातहतों का मनोबल इतना नीचे क्यों गिर गया है कि पब्लिक दौड़ा-दौड़ा कर मार रही है।
हाथ में कारवाईन लिए सिपाही और रिवाल्वर खोंसे दारोगाजी अपनी जान की दुहाई मांग रहे हैं।अंत में तो पब्लिक का रुख देखकर उल्टे पांव भाग खड़ा होता है। कितनी महिलाओं को विधवा बनाने के बाद,कितने बच्चों के सर से बाप का साया उठने के बाद ,कितनी माताओं की गोद सूनी होने के बाद,कितने बाप के बेऔलाद होने के बाद आपका जमीर जगेगा।
वर्दी पर सवाल उठाना मकसद नहीं
मेरा मकसद पुलिस के मनोबल को गिराना नहीं और न हीं वर्दी पर सवाल उठाना है।मकसद एक हीं है कि सुशासन सिर्फ नाम का नहीं हो बल्कि काम का हो....।ताकि प्रति दिन आपको निरीह लोगों की लाश देखना न पड़े।आखिर कितने दिनों तक लोग ऐसे हीं मारे जाते रहेंगे और आपलोग खानापूर्ति करते रहेंगे।
जानिए पूरा मामला
अब जरा इसे ऐसे समझिए ....।सहरसा जिले के बिहरा थाना क्षेत्र अंतर्गत पुरीख के नजदीक गोली मारकर हत्या कर एक कारोबारी की हत्या कर दी गई। हत्या के बाद शनिवार की रात शव का पोस्टमार्टम करवाया गया। लेकिन जैसे ही शव को दूबारा बिहरा थाना लाया गया। जब ग्रामीणों ने थाना अध्यक्ष से घटना से संबंधित लिखित मांगा गया तो उन्होंने कुछ भी लिख कर देने से मना कर दिया। जिसके बाद परिजन व ग्रामीण आक्रोशित हो गए और सहरसा सुपौल मुख्य मार्ग को जाम कर दिया।उसके बाद जब पुलिस जाम छुड़ाने गई तो आक्रोशित लोगों ने पुलिस पर हमला बोल दिया और जमकर ठुकाई की।
सहरसा से आनंद की रिपोर्ट