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सम्राट चौधरी बोले- नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर चुनाव के लिए डाला दबाव, दर्ज हो न्यायालय की अवमानना का केस

सम्राट चौधरी बोले- नीतीश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर चुनाव के लिए डाला दबाव, दर्ज हो न्यायालय की अवमानना का केस

पटना. आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार में नगर निकाय का चुनाव टल गया है। अब इस पर बिहार में सियासत होने लगी है। इसको लेकर कल भाजपा के कई नेताओं ने नीतीश सरकार पर हमला बोला था। अब आज इस मामले को लेकर बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। इस दौरान सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश पर सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया और कहा कि सीएम नीतीश पर न्यायालय की अवमानना का मुकदमा चलना चाहिए।

सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश पर हमला बोलते हुए कि नगर निकाय चुनाव में हाईकोर्ट के फैसले के बाद जो स्थिति उत्पन्न हुई है, उससे यह साफ हो रहा है कि नीतीश सरकार ने अति पिछड़ो के साथ खिलवाड़ किया है। उन्होंने कहा कि कल बिहार के सभी मुख्यालय पर बीजेपी मुख्यमंत्री नीतीश का पुतला दहन करेगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की जिद की वजह से ऐसी स्थिति आई है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार संवेदनहीन है।

इस दौरान सम्राट चौधरी ने कहा कि पटना हाइकोर्ट ने कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग नीतीश कुमार के दबाव में काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अति पिछड़े समाज के साथ खिलवाड़ किया है। नीतीश और तेजस्वी की सरकार अति पिछड़ा विरोधी है। इस दौरान राजद और लालू यादव पर हमला बोला। उन्होंने राजद से पूछा कि लालू बताएं 15 सालों में किसी वर्ग को आरक्षण दिया।

बिहार में नगर निकाय का चुनाव टल गया है। इस पर बिहार में सियासत शुरू हो गयी है। भजापा और जदयू नेता आमने सामने हैं। भाजपा नेता इसके लिए सीएम नीतीश को जिम्मेदार मान रहे हैं, तो जदयू नेता भी बीजेपी पर पलटवार करने से चुक नहीं रहे हैं। दरअसल, निगर निकाय के चुनाव में ईबीसी आरक्षण पर पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले चुनाव को स्थगित कर दिया है।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के पिछड़ा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर कल निर्णय सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती। 


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