बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

बालू लूट का खेलः पटना में डीटीओ-MVI लपेटे में आये, बीच वाले 'ADTO' बच निकले, परिवहन दारोगा भी अब तक सुरक्षित

बालू लूट का खेलः पटना में डीटीओ-MVI लपेटे में आये, बीच वाले 'ADTO' बच निकले, परिवहन दारोगा भी अब तक सुरक्षित

PATNA: बालू के अवैध खनन में बड़े-बड़े अधिकारी शामिल हैं। सीएम नीतीश के सख्त फऱमान के बाद इस आरोप में अब तक दो जिलों के एसपी चार एसडीपीओ, एक एसडीओ समेत 40 अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। सरकार ने अवैध खनन में संलिप्त माफियाओं को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर लगातार दो दिनों तक 14 और 15 जुलाई को कार्रवाई की. भोजपुर और औरंगाबाद के एसपी को हटाने के बाद पूरे बिहार में माफियाओं और अवैध धंधे में संलिप्त अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। परिवहन विभाग के पहुंच-पैरवी वाले तीन एमवीआई पर भी कार्रवाई की गई है। वहीं औरंगाबाद और पटना के डीटीओ को भी हटाया गया है। अवैध बालू खनन में लिप्त गाड़ियों को रोकने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग की थी। पटना में इसे रोकने को लेकर डीटीओ-एडीटीओ-एमवीआई और परिवहन दारोगा तैनात हैं। लेकिन सबने अवैध बालू ढुलाई कर रहे वाहनों को जाने दिया। पटना एक ऐसा जिला है जहां अपर जिला परिवहन पदाधिकारी पदस्थापित थे। आर्थिक अपराध इकाई ने जांच में पाया कि अवैध बालू ढुलाई में डीटीओ से लेकर चलंत दस्ता तक ने लापरवाही बरती।

ये भी पढ़ें---बालू की 'मलाई' खाने में हटाये गये 'MVI' पर कई संगीन आरोप, जाली कागजात पर 'नौकरी' मामले की चल रही सुनवाई

डीटीओ-एमवीआई के बीच वाले अधिकारी (ADTO) बच निकले 

पटना जिले की बात करें तो बालू खनन में संलिप्तता के आरोप में डीटीओ और दो एमवीआई पर कार्रवाई की गई है। हालांकि इस कार्रवाई में एडीटीओ बच गये। पटना में डीटीओ,एडीटीओ,तीन एमवीआई और चलंत दस्ता के रूप में 5 परिवहन दारोगा तैनात हैं। आर्थिक अपराध इकाई की जांच के आधार पर डीटीओ पुरूषोत्तम, एमवीआई विवेक कुमार और पटना से गया में पदस्थापित किये गये मृत्युंजय कुमार सिंह को हटाया गया। हालांकि कम ही लोग जानते थे कि पटना जिले में एडीटीओ की भी तैनाती थी। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पटना के एडीटीओ लाल ज्योतिनाथ शाहदेव भी महत्वपूर्ण जिम्मा संभाल रहे थे। उन पर भी बालू की अवैध ढुलाई करने वाले वाहनों पर नजर रखने की जिम्मेदारी थी। बालू के अवैध खनन में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई की गुंज सुनाई देने से पहले ही पटना के एडीटीओ लाल ज्योतिनाथ शाहदेव को मुजफ्फरपुर का डीटीओ बना दिया गया। गृह विभाग ने 9 जुलाई को बालू खनन में संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर पत्र भेजा। इधर  परिवहन विभाग ने 12 जुलाई को पटना एडीटीओ को मुजफ्फरपुर डीटीओ के पद पर पदस्थापन के संबंध में आदेश जारी कर दिया। जैसे ही कार्रवाई की भनक लगी पटना के एडीटीओ ने आनन-फानन में 14 जुलाई को मुजफ्फरपुर डीटीओ का कार्यभार संभाल भी लिया. 

ये भी पढ़ें---अफसरों-माफियाओं ने बालू से 'मलाई' निकाल मिल-बांट कर खाया, 'ब्रॉडसन' कंपनी ने बालू का ढेर ही कर दिया गायब, पुलिसिया जांच की गाड़ी रूकी

परिवहन विभाग में निगरानी की जिम्मेदारी तय  

अब यह चर्चा तेज है कि जब डीटीओ-एमवीआई पर कार्रवाई हुई तो बीच वाले अधिकारी यानी एडीटीओ कैसे बचे गये? क्या सिर्फ पटना में एडीटीओ के पद पर अधिकारी की पदस्थापना की वजह से आर्थिक अपराध इकाई की जांच वहां तक नहीं पहुंची? हालांकि अधिकारियों की मानें तो आने वाले दिनों में  परिवहन विभाग के कुछ और कर्मी और अधिकारी पर कार्रवाई हो सकती है। उच्च स्तर पर इसकी समीक्षा हो रही है। अगर जांच की गाड़ी आगे बढ़ी तो पटना के तत्कालीन एडीटीओ और बिहटा-बिक्रम पालीगंज इलाके का जिम्मा संभाल रहे परिवहन दारोगा भी लपेटे में आ सकते हैं. अब देखना है कि जांच-कार्रवाई की गाड़ी आगे बढ़ती है या चैप्टर क्लोज होगा। 


Suggested News