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शराबबंदी कानून को लेकर संजय जायसवाल ने फिर JDU पर बोला हमला, जदयू नेताओं से कहा ग्राउंड पर जाइए, सब पता चल जाएगा

शराबबंदी कानून को लेकर संजय जायसवाल ने फिर JDU पर बोला हमला, जदयू नेताओं से कहा ग्राउंड पर जाइए, सब पता चल जाएगा

पटना. बिहार में सत्ताधारी दल भाजपा और जदयू के बीच लगातार खींचतान जारी है. सम्राट अशोक पर विवाद के बाद दोनों पार्टी के नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ गया है. इस बीच जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा द्वारा शराबबंदी को लेकर बिहारा भाजपा अध्यक्ष पर दिये गये बयान पर संजय जायसवाल ने पटलवार किया है. उन्होंने कहा कि शरबबांदी और इसमें पुलिस की भूमिका पर जीमन पर जाकर लोगों से बात करें, तो जदयू के नेताओं को पता चल जाएगा.

संजय जायसवाल को पोस्ट

आज मुझे पता चला कि जदयू  प्रवक्ता अभिषेक झा जी मेरे लोकसभा क्षेत्र में जहरीली शराब के कारण हुए मृत्यु में, मेरे जाने पर मुझसे जवाब मांग रहे हैं । जदयू के प्रवक्ता का मुझसे सवाल करना बताता है कि यह सवाल जदयू के द्वारा है क्योंकि प्रवक्ता दल की बातें रखता है अपनी व्यक्तिगत नहीं।

मैं माननीय अभिषेक झा जी को बता दूं की मैं जहरीली शराब से हुई मौतों के परिवारजनों के घर गया था और अगर भविष्य में भी कभी मेरे लोकसभा क्षेत्र में इस तरह की दुर्घटना घटेगी तो मैं हर हालत में जाऊंगा और आर्थिक मदद भी करुँगा। अगर कोई व्यक्ति जहरीली शराब से मरता है तो उसने निश्चित तौर पर अपराध किया है पर इससे प्रशासनिक विफलता के दाग को बचाया नहीं जा सकता और जब मैं इस शासन के एक घटक का अध्यक्ष हूं तो यह मेरी भी विफलता है।

मैं उन गरीबों से इंसानियत के नाते मिलने गया था। मैं अच्छे से जानता हूं कि मरने वालों ने अपराध किया है इसलिए सरकार द्वारा उन्हें किसी प्रकार की मदद संभव नहीं थी। उन सभी परिवारों को अंतिम क्रियाकर्म में थोड़ी सी मदद करने का काम मैंने किया है क्योंकि गुनाहगार मरने वाले थे ना कि उनके परिवारजन। वैसे भी मैं अभिषेक झा जी को याद दिला दुँ कि मैंने संपूर्ण मीडिया के सामने कहा था कि शराबबंदी कानून की पुनः समीक्षा होनी चाहिए। मैं 100% शराबबंदी का समर्थक हूं और मानता हूं कि शराब बहुत बड़ा सामाजिक अपराध है जो पूरे परिवार को बर्बाद कर देता है। फिर भी मैं यह मानता हूं कि जिस श्रेणी का अपराध हो सजा उसी श्रेणी की होनी चाहिए। 

दिल्ली से कोई परिवार दार्जिलिंग छुट्टियां मनाने जा रहा है और उसके गाड़ी में बिहार में एक बोतल शराब पकड़ी गई और उस परिवार की गाड़ी नीलाम हो जाती है। ऐसी कम से कम 5 घटनाएं मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं। 10 वर्ष के जेल का प्रावधान केवल उन पुलिस अधिकारियों के लिए होना चाहिए जिन्होंने माननीय नीतीश कुमार जी के इतने अच्छे सामाजिक सोच को नुकसान पहुंचाया है। अगर मेरी बात समझ में नहीं आ रही हो तो मीडिया की दुनिया से बाहर जाकर अपने पंचायत के किसी भी आम व्यक्ति से संपर्क कर लें। आपको शराबबंदी और पुलिस की भूमिका अच्छे से समझ में आ जाएगी।

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