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किसान की हत्या के आरोपी सरदार नागेंद्र यादव की अभी तक नहीं हुई गिरफ्तारी, अवैध पशु मेला और तस्करी का भी आरोप

किसान की हत्या के आरोपी सरदार नागेंद्र यादव की अभी तक नहीं हुई गिरफ्तारी, अवैध पशु मेला और तस्करी का भी आरोप

पटना. दुल्हिन बाजार के महुआबाग गांव में पूर्व नक्सली सुदामा यादव (70) की हत्या के चार दिन से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी तक आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. इससे गांव में डर का माहौल बना हुआ है जबकि परिजन खौफजदा हैं. हत्या मामले में प्रखंड के मिल्की पूर्व के जिला परिषद सदस्य सरदार नागेंद्र सिंह, उलार-सोरंगपुर पंचायत के मुखिया रामानुज यादव और उनके पुत्र प्रमोद कुमार को आरोपित बनाया गया है. वहीं, सुदामा की हत्या के बाद परिजनों का कहना है कि अगर उनकी शिकायतों पर शुरू से ध्यान दिया जाता तो अपराधी ऐसा दुस्साहस नहीं करते. सुदामा की हत्या के साथ ही उनके परिवार में हुई यह तीसरी हत्या रही. 

करीब 15 साल पहले सुदामा यादव के भाई जयपाल यादव की भी पाठक मिल्की गांव में गोली मारकर हत्या हुई थी. उस समय परिजनों ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ दुल्हिनबाजार थाना में  मुकदमा दर्ज कराया था. हालांकि स्थानीय पुलिस मामले का उद्भेदन करने में असफल रही. परिजनों ने तब भी आरोप लगाया था कि प्रशासन दबंग लोगों के प्रभाव में आकर जयपाल यादव की हत्या के मुकदमें को रद्दी की टोकरी में डाल दिया. वहीं करीब चार वर्ष पूर्व सुदामा यादव के भांजे उदय यादव की भी दुल्हिनबाजार में गणपति पूजा के दौरान नाच देखने के क्रम में गोली मार कर हत्या की गयी थी. उदय यादव की हत्यारों का पता लगाने में भी पुलिस विफल रही. 

इन सबके बीच अब सुदामा यादव की हत्या हुई है. 15 साल तक जेल की सजा काटकर लौटे सुदामा यादव की हत्या इसी सप्ताह मंगलवार तड़के हुई थी. अब सुदामा की हत्या में जिन लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया है उसमें मिल्की पूर्व के जिला परिषद सदस्य सरदार नागेंद्र सिंह के खिलाफ पहले से कई शिकायत दर्ज है. नागेंद्र सिंह की पहचान पशु तस्कर के रूप में रही है. उस पर पालीगंज अनुमंडल के एनखां गांव में अवैध पशु मेला लगाने का आरोप लगता रहा है. यहाँ से होने वाली कथित पशु तस्करी के मुख्य सरगना के रूप में सरदार नागेंद्र सिंह को जाना जाता है. 

सुदामा के परिजनों का कहना है कि नागेंद्र एक दबंग किस्म का आदमी है. उसकी पशु तस्करी सहित कई अवैध धंधों में संलिप्तता रही है. यहां तक कि एक दैनिक अख़बार ने कोरोना गाइडलाइंस का उल्लंघन कर पशु मेला लगाने से संबंधित समाचार चलाया तब पत्रकार को जान से मारने की नीयत से मारपीट करने का आरोप भी नागेंद्र पर लगा. इसकी शिकायत दुल्हिन बाजार थाने में की गई. इसी तरह एक पत्रकार द्वारा पशु मेला का वीडियो बनाने पर उसके साथ ही मारपीट की गई. बावजूद इसके नागेंद्र के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. 

करीब दर्जन भर हत्याओं का आरोपी रहा सुदामा यादव एक दौर में नक्सली हुआ करता था. हालांकि बाद में उसकी गिरफ्तारी हुई और जेल से लौटने के बाद वह मुख्यधारा से जुड़कर जीवन जी रहा था. वह अब खेती किसानी से जुड़कर जीवनयापन करता था. 


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