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साड़ी के पल्लू रखने के स्टाइल को लेकर छिड़ी बहस, पीएम मोदी के ज्ञान पर टीएमसी ने उठाए सवाल

साड़ी के पल्लू रखने के स्टाइल को लेकर छिड़ी बहस, पीएम मोदी के ज्ञान पर टीएमसी ने उठाए सवाल

कोलकत्ता। देश में बहस के लिए कई राजनीतिक मुद्दे हैं, इनमें जो सबसे नया मुद्दा है वह है महिलाओं के साड़ी के पल्लू रखने का स्टाइल। इस बहस को जन्म दिया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संबोधन ने, जो उन्होंने पश्चिम बंगाल स्थिस विश्व भारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह के दौरान कही थी। गुरुवार को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के तौर पर अपने संबोधन में पीएम ने महिलाओं के बांएं कंधे पर पल्लू रखने की परंपरा को रविन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से जोड़ दिया। अब पीएम के इस संबोधन को लेकर बंगाल की सत्तारुढ टीएमसी ने सवाल उठा दिए। टीएमसी ने पीएम के जानकारी को ही गलत करार दे दिया। बहरहाल, पीएम के कारण देश को किसान आंदोलन से अलग एक नए विषय पर बहस का मौका दे दिया है। 

क्या कहा पीएम ने

विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह मे ऑनलाइन जुड़े पीएम मोदी ने गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर से जुड़ी कई रोचक बातें बताईं। पीएम मोदी ने टैगोर के गुजरात कनेक्शन का भी जिक्र किया। साथ ही यह भी बताया कि बांये कंधे पर साड़ी का पल्लू रखने का चलन टैगोर परिवार की बहू ज्ञाननंदनी देवी शुरू किया था। उन्होंने बताया कि गुरुदेव के बड़े भाई जब सत्येंद्र नाथ टैगोर जब आईसीएस में थे, तो उनकी नियुक्ति गुजरात में भी हुई थी। रविंद्रनाथ टैगोर अक्सर गुजरात जाते थे। वहां उन्होंने काफी लंबा समय बिताया था। तब गुजरात में महिलाएं दाएं कंधे पर साड़ी का पल्लू रखती थी। जब 'सत्येंद्र नाथ टैगोर जी की पत्नी ज्ञाननंदनी देवी जी  अहमदाबाद में रहती थीं तो उन्होंने देखा कि वहां की स्थानीय महिलाएं अपनी साड़ी के पल्लू को दाहिने कंधे पर रखती थीं। अब दायें कंधे पर पल्लू से महिलाओं को काम करने में भी कुछ दिक्कत होती थी।' ऐसे में उन्होंने दाएं की जगह बाएं कंधे पर पल्लू रखना शुरू कर दिया। जो बाद में सभी महिलाओं ने अपनाना शुरू कर दिया। पीएम मोदी ने महिला सशक्तीकरण संगठनों को इस पर और रिसर्च करने को भी कहा। 

ममता की पार्टी ने कहानी के बताया गलत

तृणमूल कांग्रेस ने पीएम की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। ममता सरकार में मंत्री सत्यदेव बोस ने कहा कि गोर के भाई जो गुजरात में पदस्थापित थे, उनके सबसे बड़े भाई नहीं थे. उनकी पत्नी का नाम ज्ञाननंदनी नहीं, बल्कि ज्ञानदानंदिनी था। साथ ही साड़ी की पल्लू को लेकर जो कहानी उन्होंने बताई है वह पूरी तरह से मिथक है। टीएमसी के सीनियर नेता ने कहा कि पीएम ने टैगोर के राष्ट्रवाद की बात की, जबकि टैगोर ने राष्ट्रवाद को सबसे विभाजनकारी चीज कहा था. धर्म को विभाजित करने के लिए इस शब्द के उपयोग की टैगोर ने वकालत नहीं की थी.   

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