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आईएमए का सरकार पर बड़ा आरोप - कोरोना के टीकाकरण में प्राइवेट नर्सिंग स्टाफ संग हो रहा है भेदभाव

आईएमए का सरकार पर बड़ा आरोप - कोरोना के टीकाकरण में प्राइवेट नर्सिंग स्टाफ संग हो रहा है भेदभाव

पटना। कोरोना टीकाकरण को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार ने नीतीश सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है की कोरोना के टीकाकरण में सरकारी व निजी स्वास्थ्य कर्मियों के बीच सरकार भेदभाव करना बंद करें। इस संबंध में आईएमए बिहार के पदाधिकारियों ने आपात बैठक बुलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सहजानंद सिंह की अध्यक्षता में पांच सूत्री मांगों के प्रस्ताव को पारित भी किया है।

आईएमए बिहार का स्पष्ट कहना है कि स्वास्थ्य विभाग  कोरोना  टीकाकरण सरकारी व निजी स्वास्थ्य कर्मियों के बीच सरकार भेदभाव ना करे। आईएमए का आरोप है कि जब कोरोना संकट के दौरान  सरकार के अपील पर सभी निजी क्लीनिक एवं नर्सिंग होम को नियमित रूप से खोला गया तब इस तरह का भेदभाव क्यों। अब जब टीका देने की बारी आई तो सरकार ,सरकारी और निजी चिकित्सकों में फर्क क्यों कर रही है। यह गलत है कि सरकार के द्वारा टीका देने में केवल सरकारी एवं निबंधित प्राइवेट क्लीनिक को प्राथमिकता दी जा रही है।

आईएमए ने पांच सूत्री मांगों के प्रस्ताव पारित किए हैं जिसमें मांग की गई है की क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत निबंधन नहीं कराने पर नर्सिंग होम व क्लीनिक को सील करने का निर्देश दिया गया है। लेकिन आईएमए ने कहा है कि जब तक बिहार अपना क्लीनिकल एक्ट का प्रारूप नहीं लागू करता तब तक छोटे एवं मंझोले क्लीनिक 50 बेड तक के क्लीनिकल एक्ट से मुक्त रखे जाएं। साथ ही बिहार चिकित्सकीय संस्थान एवं व्यक्तिगत सुरक्षा कानून 2011 संशोधित 2014 को सभी जिलों में लागू किए जाएं। इतना ही नहीं इस प्रस्ताव में ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों के पदस्थापन करने पर उनके आवास एवं सुरक्षा के भी मांग सरकार से की है।


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