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बिहार के एकमात्र नमक सत्याग्रह स्थल की उपेक्षा से आहत लोगों का सत्याग्रह जारी, अनमोल विरासत को आज भी उद्धारक का इंतजार

बिहार के एकमात्र नमक सत्याग्रह स्थल की उपेक्षा से आहत लोगों का सत्याग्रह जारी, अनमोल विरासत को आज भी उद्धारक का इंतजार

BEGUSARAI:  स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल विरासत और बिहार के एकमात्र नमक सत्याग्रह स्थल गढ़पुरा की उपेक्षा से आहत लोग अब गांधीगिरी पर उतर आए हैं। सूबे की सरकार और जिला प्रशासन की उपेक्षा से नाराज लोगों का बेगूसराय के हड़ताली चौक पर सोमवार से जारी अनिश्चितकालीन सत्याग्रह जारी है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद सत्याग्रह स्थल पर स्मारक निर्माण नहीं होने तथा भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं किए जाने से आहत नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के सदस्यों का सत्याग्रह को स्थानीय लोगों का पूरा समर्थन मिल रहा है।

सत्याग्रह को मिल रहा जनसमर्थन

सत्याग्रह के पहले दिन मौके पर सैकड़ों लोग जुटे तथा एक स्वर से सत्याग्रह स्थल की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अपनी आवाज बुलंद किया। समिति के संस्थापक सचिव मुकेश विक्रम, महासचिव राजीव कुमार, अध्यक्ष मथुरा सहनी, कोषाध्यक्ष सुशील सिंघानियां, रामसेवक स्वामी, धीरज भारद्वाज, प्रदीप क्षत्रिय, समाजिक कार्यकर्ता प्रो संजय गौतम आदि ने कहा कि बिहार केसरी डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान दांडी नमक सत्याग्रह की तरह बिहार के गढ़पुरा में 21 अप्रैल 1930 को नोनियां मिट्टी से नमक बनाकर बिट्रिश हुकूमत के काले कानून को भंग किया था। इसके बाद भी बिहार का दांडी और श्रीबाबू की कर्मस्थली उपेक्षित रहा। 

बता दें कि वर्ष 2011 में नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के सदस्यों तथा गढ़पुरा एवं जिलेवासियों के सहयोग से इस स्थल पर श्रमदान द्वारा साफ सफाई की गयी। इसके बाद छह मई 2012 को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी यहां पहुंचे और कला संस्कृति विभाग से स्मारक निर्माण के भूमि अधिग्रहण के लिए 26 लाख रुपया जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया गया। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यह काम नहीं हो सका। 22 दिसम्बर 2013 को मुख्यमंत्री नीतिश कुमार गढ़पुरा आए और नमक सत्याग्रह स्थल के विकास के लिए करीब दो करोड़ 68 लाख की योजनाओं का तोहफा दिया। 2014 में मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी यहां श्रीबाबू को नमन करने आए। लेकिन बगैर भूमि अधिग्रहण के त्रूटिपूर्ण भवन बनाकर चुपचाप मुख्यमंत्री के हाथों पटना से ही उद्घाटन करवा दिया गया। 

अनमोल विरासत को आज भी उद्धारक का इंतजार

सत्याग्रह पर बैठे लोगों का कहना है कि नापाक गठबंधन के कारण स्वतंत्रता संग्राम की यह अनमोल विरासत, बिहार के दांडी बिहार केसरी श्रीबाबू की कर्मभूमि गढ़पुरा का ऐतिहासिक, गौरवशाली नमक सत्याग्रह स्थल आज भी अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है। उपमुख्यमंत्री तथा दो-दो मुख्यमंत्री द्वारा संज्ञान लिये जाने के बावजूद पिछले छह वर्षों में छह इंच जमीन का भी अधिग्रहण नहीं होने, स्मारक निर्माण कार्य को मुख्यमंत्री के सपनों के अनुरूप और स्वीकृत नक्शे व डिजाइन के अनुसार संपन्न नहीं कराने तथा अवैध व त्रूटिपूर्ण निर्माण की जांच नहीं होने से सब आहत हैं।

सत्याग्रहियों की सरकार से मांग

 इस गंभीर चिंताजनक व शर्मनाक स्थिति पर सरकार, समाज और सिस्टम का ध्यानाकर्षण कराने हेतु गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति ने सत्याग्रह के पथ पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया है। उनकी मांग है कि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार स्मारक निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरा किया जाय, स्वीकृत नक्शे व डिजाइन के अनुसार यहां भव्य नमक सत्याग्रह स्मारक का निर्माण सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही अवैध, अधूरे व त्रूटिपूर्ण निर्माण के लिए दोषी लोगों पर विधिसम्मत कार्रवाई सुनिश्चित कर कठोर कार्रवाई की जाए।

बेगूसराय से कृष्णा की रिपोर्ट

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