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सावन की दूसरी सोमवारी को शिवभक्तों के सब्र का टूटा बाँध, मंदिर का गेट तोड़कर की पूजा अर्चना

सावन की दूसरी सोमवारी को शिवभक्तों के सब्र का टूटा बाँध, मंदिर का गेट तोड़कर की पूजा अर्चना

LAKHISARAI : सावन के दूसरे सोमवार पर महादेव की पूजा अर्चना को पहुंचे श्रद्धालुओं ने अशोकधाम मंदिर में भगदड़ की स्थिति कायम कर दी। मनाही के बाद भी न सिर्फ मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी बल्कि उनमें से कई मंदिर के दक्षिण द्वार का ताला तोड़कर अंदर प्रवेश कर गए। श्रद्धालुओं ने चांदी के गेट को भी तोड़ने की कोशिश की। हालांकि बाद में मंदिर प्रशासन, जिला पुलिस और जिला प्रशासन की टीम ने कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रण में ले लिया।

बताया जा रहा है कि सावन के दूसरे सोमवार पर सुबह चार बजे से ही मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। इसी समय मंदिर में शिवलिंग का श्रृंगारी पूजन भी होता है। मंदिर के भीतर मौजूद पुजारी श्रृंगारी पूजन कर रहे थे। तभी बाहर मौजूद श्रद्धालु हर-हर महादेव का नारा लगाते हुए मंदिर के द्वक्षिण द्वार पर धक्का देने लगे। श्रद्धालुओं ने दक्षिण द्वार के ऊपर से फांदकर मंदिर में प्रवेश करना शुरू कर दिया। इसके बाद एक युवक ने गेट पर लगे ताले को ईंट मारकर तोड़ दिया। इसके बाद बाहर मौजूद श्रद्धालुओं की भीड़ अंदर प्रवेश कर गई।

इस बीच मंदिर में मौजूद पुजारी भी जब भक्तों को रोकने की कोशिश करने लगे तो भीड़ ने उन्हें भी धक्का दे दिया। मंदिर के पुजारी नीरज पांडेय के अनुसार एक-दो पुजारियों को मामूली चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि घटना के वक्त हल्की भगदड़ की स्थिति बन गई। हालांकि बाद में पहुंची पुलिस-प्रशासन की टीम ने स्थिति को काबू में कर लिया। गर्भगृह के पीछे के हिस्से का गेट चांदी का है। इस गेट पर भी धक्का दिया गया। हालांकि चांदी का उक्त गेट सुरक्षित है। बताया जा रहा है कि मंदिर पर तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या कम होने के कारण भीड़ के सामने थोड़ी देर के लिए सारी व्‍यवस्‍‍थाएं ध्‍वस्‍त हो गई थीं। बाद में अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुलाकर स्थिति पर काबू पाया गया। 

पिछले सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने के बाद भी इस बार प्रशासनिक स्तर पर मंदिर के बाहर विशेष चौकसी के इंतजाम नहीं किए गए थे। मंदिर के मुख्य और दक्षिण द्वार पर सीमित संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर प्रशासनिक स्तर पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गई थी। इसी वजह से मंदिर के बाहर उमड़ी भीड़ को भगदड़ की स्थिति बनाने का मौका मिल गया। बता दें कि हर साल जैसे-जैसे सावन के सोमवार खत्म होते हैं, इस मंंदिर पर भीड़ बढ़ती जाती है। लखीसराय ही नहीं बिहार भर में प्रसिद्ध इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना को पहुंचते हैं। कोरोनाकाल से पहले सावन के आखिरी दो सोमवार ढाई से तीन लाख तक की श्रद्धालुओं की भीड़ यहां उमड़ती थी।

लखीसराय से कमलेश की रिपोर्ट

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