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सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देनेवाला ये बना देश का पहला राज्य, सोमवार से लागू होगा कानून

सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देनेवाला ये बना देश का पहला राज्य, सोमवार से लागू होगा कानून

N4N DESK : गुजरात एक बार फिर चर्चा में है। इस बार गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने वाला वह पहला राज्य बन गया है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने एलान किया है कि राज्य में कल यानी 14 जनवरी से 10 फीसदी आरक्षण देने वाला कानून लागू हो जायेगा। बता दें कि 10% आरक्षण देने वाले कानून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को अपनी मंजूरी दे दी थी। इससे पहले ये बिल 9 जनवरी को संसद से पास हुआ था। आइए जान लेते हैं कि किन लोगों को मिलेगा ये आरक्षण...

किन्हें मिलेगा आरक्षण

परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपए से कम होनी चाहिए...1000 वर्ग फीट से बड़ा घर ना हो...म्यूनिसिपिलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर ना हो...5 एकड़ से ज्यादा खेती लायक जमीन ना हो...नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपल एरिया में 200 गज से बड़ा घर ना हो।

बता दें कि इस कानून के तहत सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को आरक्षण के बिल को मंजूरी दी थी जिसे 8 जनवरी को लोकसभा और 9 जनवरी को राज्यसभा से पास किया गया। 12 जनवरी को राष्ट्रपति कोविंद के हस्ताक्षर के साथ ही आरक्षण का कानून बन गया।

आरक्षण की सीमा में हुई बढ़ोतरी

भारत में अभी तक 49.5 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था थी, लेकिन नये कानून के हिसाब से आरक्षण की सीमा अब 59.5 फीसदी तक पहुंच गई है। अब तक देश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। अब सामान्य श्रेणी के लिए भी 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है।

इधर, कानून बनते ही उसे कोर्ट में चुनौती भी दे दी गयी है। सामान्य वर्ग के लिए शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण के इस नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यूथ फॉर इक्वेलिटी ने इस संविधान संशोधन बिल को देश की सबसे बड़ी अदालत में चुनौती दी है। 

कोर्ट में नये कानून को चुनौती

अर्जी में कहा गया है कि ये बिल अभूतपूर्व तरीके से दो दिन में ही संसद से पास कर दिया गया और इसपर बहुत कम चर्चा की गई। अर्जी में ये भी दावा किया गया है कि ये कानून संविधान के दो अनुच्छदों की अवहेलना करता है। आरक्षण के लिए सिर्फ और सिर्फ आर्थिक आधार आरक्षण का पैमाना नहीं हो सकता है। इसके साथ ही अर्जी में कहा गया है कि आर्थिक आधार को सिर्फ जनरल कैटेगरी तक सीमित नहीं किया जा सकता है।

अर्जी में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक किए जाने पर भी सवाल उठाए गए हैं। अर्जी में कहा गया है कि गैर सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों पर रिजर्वेशन लागू करना स्पष्ट रूप से मनमाना रवैया है।


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