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सुप्रीम कोर्ट में अभिभावकों ने की परीक्षा रद्द करने की मांग, सीबीएसई ने सौंपी सीलबंद रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में अभिभावकों ने की परीक्षा रद्द करने की मांग, सीबीएसई ने सौंपी सीलबंद रिपोर्ट

DESK : देश में कोरोना संक्रमण को बढ़ता देख सरकार ने सभी स्कूल कॉलेज को बंद कर दिया था. इसके साथ ही सभी परीक्षाएं अनिश्चित समय के लिए स्थगित कर दी गयी थी. लेकिन अब सभी इंस्टीच्युशन में परीक्षाएं आयोजित की जाने लगी है. गौरतलब है कि सीबीएसई की 10वीं और 12वीं कक्षा की पिछली बोर्ड परीक्षाओं के कुछ इम्तिहान बचे हुए है. बचे परीक्षा को टालने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी, जिसकी सुनवाई आज होनी है.

इस याचिका में अभिभावकों ने छात्रों का रिजल्ट इंटरनल असेस्मेंट के आधार पर घोषित करने की मांग की है, याचिका में लिखा गया है कि एम्स का डाटा ये बताता है कि कोरोना वायरस आने वाले समय में देश में अपने चरम पर होगा. ऐसे में परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाना चाहिए. अभ‍िभावकों ने ये भी कहा है कि भारत में संक्रमितों की संख्या 3 लाख के करीब पहुंच चुकी है. जबकि अब ये संख्या करीब साढ़े चार लाख हो गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड से जवाब मांगा था. याचिका में इस साल की बोर्ड की बची हुई परीक्षाएं रद्द करने की मांग की गई. जिसको लेकर सीबीएसई बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद रिपोर्ट सौंपी गयी है.

सुप्रीम कोर्ट ने जब सीबीएसई बोर्ड से जवाब मांगा. तब मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सीबीएसई बोर्ड के अधिकारियों की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर बैठक हुई. जिसमें कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते फिलहाल जुलाई में आयोजित होने वाली परीक्षा को स्थगित करने का निर्णय लिया गया. इस बैठक में बोर्ड के अधिकारियों ने कहा है कि दसवीं कक्षा का असेसमेंट से रिजल्ट तैयार करना आसान है. लेकिन 12वीं कक्षा के मामले में इस तरह रिज़ल्ट तैयार करने में दिक़्क़त आएगी. क्योंकि 12वीं कक्षा के आधार पर आईआईटी, मेडिकल समेत उच्च शिक्षा में दाखिला होता है. स्कूल के इंटरनल असेस्मेंट में कई होनहार छात्र भी फिसड्डी हो सकते हैं. इसको लेकर सीबीएसई ने फि‍लहाल 1 से 15 जुलाई में होने वाली बोर्ड परीक्षा टालने का निर्णय लिया है. जिसमें सीबीएसई बोर्ड की ओर से 10वीं और 12वीं कक्षा के बचे हुए 29 विषयों की परीक्षा की तारीख बढ़ाने की योजना है.

बोर्ड ने ये भी कहा कि बहुत छात्र ऐसे होते हैं जो बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारियों पर पूरा ध्यान देते हैं और स्कूल की अपनी परीक्षाओं पर ज़्यादा समय नहीं लगाते. क्योंकि वे फाइनल की तैयारी में लगे रहते हैं और क्लास टेस्ट को तवज्जो नहीं देते हैं. इसके अलावा कोचिंग सेंटर में लाखों की तादाद में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी में जुटे छात्र स्कूल में दाखिला तो लेते हैं, लेकिन कक्षा और क्लास टेस्ट नहीं देते हैं. ऐसे में इन छात्रों का असेसमेंट मुश्किल होगा? बोर्ड के अधिकारियों का तर्क है कि जब राज्य अपनी बोर्ड परीक्षा करवा रहे हैं तो फिर सीबीएसई बोर्ड परीक्षा भी करवायी जा सकती है. दिल्ली और मुंबई समेत अधिक संक्रमण वाले शहरों को छोड़कर अन्य जगह परीक्षा करवायी जाए. हालात ठीक होने पर बचे हुए शहरों में अगस्त में परीक्षा कराई जा सकती है.

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