NEWS4NATION DESK : जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटानेके फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और सांसद फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी के खिलाफ एमडीएमके (MDMK) चीफ वाइको की ओर से दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 30 सितंबर तक केन्द्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर के हालात पर केंद्र को 2 सप्ताह में डिटेल रिपोर्ट देने का भी दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि कश्मीर घाटी में इंटरनेट और फोन अभी तक काम क्यों नहीं कर रहे हैं। घाटी में कम्युनिकेशन को क्यों बंद किया गया है?
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कश्मीर में आतंकियों के लिए बड़े पैनामे पर पाकिस्तान के हाई कमिशन की ओर से फंडिंग हो रही है। कश्मीर में अशांति फैलाने और पत्थरबाजों को समर्थन देने का काम हो रहा है। अटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा कि 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद राज्य सरकार ने 3 महीने के लिए इंटरनेट और फोन सुविधाओं को बंद कर दिया गया था। एजी ने कहा कि मौजूदा हालात में इंटरनेट और फोन बंद करने का फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है।
इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस ए बोबड़े और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह 2 सप्ताह में कश्मीर के हालात पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपे।
वहीं सुनवाई के दौरान वाइको के वकील ने फारुक अब्दुल्ला की नजरबंदी को गैरकानूनी बताते हुए कहा कि फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी पर केंद्र सरकार अलग-अलग तर्क दे रही है। इसपर केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट के तहत नैशनल कॉन्फ्रेंस नेता को नजरबंद किया गया है। इसके तहत 2 साल तक किसी शख्स को बिना सुनवाई के हिरासत में रखा जा सकता है।