Desk: बिहार के नवादा में लॉकडाउन के बीच कोटा से बेटा लाने के मामले में विधायक अनिल सिंह की मुश्किले बढ़ती ही जा रही है. मामले में तूल पकड़ने के बाद आनन फानन में निचले कर्मचारियों पर गाज गिर गई है. ऐसा आरोप तेजस्वी लगातार लगा रहे है. अब बड़ा सवाल सवाल ये है कि डीएम साहब और विधायक जी का क्या होने वाला है.
आपको बता दें कि बीजेपी विधायक और सत्तारूढ़ दल के विधानसभा में सचेतक अनिल सिंह पिता धर्म का पालन करके अपने बच्चे को कोटा से ले आए थे उसके बाद सरकार के लिए धर्मसंकट खड़ा हो गया है.
पहले राबड़ी देवी ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधते हुए सरकार द्वारा एसडीओ को सस्पेंड करने के फैसले को एकतरफा बताते हुए कहा कि नवादा डीएम को क्यों नहीं निलंबित किया गया, जिन्होंने पास बनाने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि विधायक को कुछ नहीं हुआ, जबकि गरीब ड्राइवर को सस्पेंड कर दिया गया. राबड़ी देवी ने कहा कि अफसरों को बचाओ और छोटे कर्मचारियों को फंसाओ, यही नीति रही है एनडीए सरकार की. दरअसल एसडीओ के संस्पेशन के खिलाफ बिहार प्रशासनिक सेवा संघ ने आवाज उठाते हुए कहा कि इस मामले में एसडीओ को पास बनाने का आदेश देने वाले नवादा डीएम पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. बता दें कि सरकार पर कोटा में फंसे छात्रों को लाने का दबाव बढ़ रहा है, लेकिन इस बीच बिहार के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने डीएम पर कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है.
आपको बता दें कि बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने भी बीजेपी से डिमांड की थी कि विधायक अनिल सिंह पर कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन फिलहाल ऐसा होता कुछ दिख नहीं रहा है. छोटे कर्मचारियों को नाप कर बड़े अधिकारियों और खुद विधायक जी की सुरक्षा करने में डबल इंजन की सरकार लगती दिख रही है. लोगबाग तो यह भी कह रहे हैं कि डीएम साहब ने खुद को सेट कर लिया है विधायक जी बस अपना देख लें.